1951 से लेकर 2017 तक जिले में महिलाओं को मिला बहुत कम प्रतिनिधित्व
जिले की सात विधानसभा सीटों में इस बार 1272064 वोटर हिस्सा ले रहे हैं।
सुनील थानेवालिया, गुरदासपुर
जिले की सात विधानसभा सीटों में इस बार 1272064 वोटर हिस्सा ले रहे हैं। इनमें से 671079 पुरुष व 600958 महिलाएं शामिल हैं। भले ही पुरुष और महिलाओं के आंकड़े में अधिक अंतर नहीं है। लेकिन अगर 1951 से लेकर अब तक के इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो महिलाओं को कुछ फीसद ही प्रतिनिधित्व मिला है। जिले की सभी सीटों से अब तक केवल चार महिला विधायक बनी हैं।
गौरतलब है कि जिला गुरदासपुर में कुल सात विधानसभा हलके पड़ते हैं। इनमें गुरदासपुर, दीनानगर, फतेहगढ़ चूडि़यां, कादियां, बटाला, डेरा बाबा नानक व श्रीहरगोबिदपुर शामिल हैं। सातों हलकों में कुल 1272064 वोटर हैं। इनमें से 671079 पुरुष, 600958 महिलाएं, 27 थर्ड जेंडर, 10416 दिव्यांग, 396 प्रवासी भारतीय व 17596 युवा वोटर हैं। महिलाओं व पुरुष वोटरों में करीब सात हजार का अंतर है, लेकिन प्रतिनिधित्व में यह अंतर काफी बड़ा है। कब-कब मिला महिलाओं को प्रतिनिधित्व
1985 में सुशील महाजन विधानसभा हलका गुरदासपुर, 1992 में सुशीला महाजन विधानसभा हलका धारीवाल, 1997 में विधानसभा हलका दीनानगर से रूप रानी, 2002, 2012 व 2017 को विधानसभा हलका दीनानगर से अरुणा चौधरी और 2012 में विधानसभा हलका कादियां से चरणजीत कौर बाजवा चुनाव जीतकर विधायक बनी। दीनानगर में महिलाओं को मिला सबसे अधिक प्रतिनिधित्व
1951 से लेकर 2017 तक के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो महिलाओं को जिले में बहुत कम प्रतिनिधित्व मिला है। विधानसभा हलका गुरदासपुर में हुए 14 बार चुनावों में केवल एक बार महिला विधायक बनी। विधानसभा हलका कादियां में दो बार हुए चुनाव में से एक बार महिला विधायक बनी। बटाला में 14 बार चुने गए विधायकों में एक भी महिला शामिल नहीं थी। डेरा बाबा नानक में तीन बार, फतेहगढ़ चूडि़यां में नौ बार, श्रीहरगोबिदपुर 13 बार हुए चुनावों के दौरान किसी भी महिला उम्मीदवार को प्रतिनिधित्व नहीं मिला। जबकि दीनानगर में हुए दस बार चुनाव में से चार बार महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिला।