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जांच के लिए मशीन न स्टाफ, यमदूत बन फर्राटा भर रहे कंडम वाहन

जिले में लगातार वाहनों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 08:00 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 08:00 AM (IST)
जांच के लिए मशीन न स्टाफ, यमदूत बन फर्राटा भर रहे कंडम वाहन
जांच के लिए मशीन न स्टाफ, यमदूत बन फर्राटा भर रहे कंडम वाहन

बाल कृष्ण कालिया, गुरदासपुर

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जिले में लगातार वाहनों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इन वाहनों में बड़ी संख्या में पुराने वाहन भी शामिल हैं, जो कंडम हो चुके हैं। जांच के लिए स्टाफ व मशीन नहीं होने के कारण ये कंडम वाहन यमदूत बनकर सड़कों पर फर्राटा भरते हैं। ऐसे वाहनों की फिटनेस पड़ताल के लिए ना तो ट्रैफिक पुलिस गंभीर है और ना ही परिवहन विभाग की ओर से ऐसे वाहनों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जा रही है।

सड़कों पर आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। इन दुर्घटनाओं के यूं तो कई कारण हैं, लेकिन इसमें एक वजह का उल्लेख विशेष रूप से किया जा सकता है वह है वाहनों की फिटनेस का। इस मामले में आरटीओ और यातायात पुलिस का सारा ध्यान सिर्फ और सिर्फ कामर्शियल वाहनों पर होता है। जबकि शहर की सड़कों पर हजारों आटो, कार, बस, बाइक, स्कूटर और रिक्शा ऐसे चलते हैं, जिनकी स्थिति काफी जर्जर है। ऐसे वाहनों के कारण लोगों का जीवन हमेशा जोखिम में रहता है। प्रशासन के पास ऐसे वाहनों को सड़क पर उतरने से रोकने के लिए कोई ठोस प्रबंध नहीं है और न ही किसी को इनकी परवाह है। ऐसे ही वाहनों के कारण शहर की आबोहवा खराब हो रही है। परिवहन के क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि बिना फिटनेस के हजारों वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। शहर के विभिन्न स्कूलों में लगे कुछ आटो, बस व वैन ऐसे हैं, जो फिट नहीं हैं। वे दस से 15 साल से भी अधिक पुराने हैं। इस प्रकार के वाहन किसी भी समय दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। हजारों वाहनों में फाग लाइट, बैक लाइट जैसी सुविधाएं नहीं

हजारों ऐसे वाहनों को देखा जा सकता है, जिनमें फाग लाइट, हेड लाइट, बैक लाइट, पार्किग लाइट, कलर रिफ्लेक्टर जैसी सुविधाएं काफी औसत दर्जे की होती हैं। इससे ये दुर्घटनाओं के कारण बनते रहते हैं। इन्हें चलाने वाले अधिकतर लोगों के पास ड्राइविग लाइसेंस और कागजात तक नहीं होते। वाहनों की फिटनेस जांच के नाम पर सिर्फ औपचारिकता

जिले में वाहनों के फिटनेस की व्यवस्था काफी खराब है। कामर्शियल वाहनों के फिटनेस की जांच शहर के मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर की ओर से पेट्रोल पंप पर बने अपने आफिस में की जाती है। यह जांच भी महज औपचारिकता ही है। यहां मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर केवल शुक्रवार को ही वाहनों की फिटनेस की जांच करते हैं, जबकि ट्रैफिक पुलिस की ओर से फिटनेस चेक करने के लिए कोई यंत्र उपलब्ध नहीं है। इसी वजह से पुलिस की ओर से केवल ड्राइविग लाइसेंस, इंश्योरेंस, हेलमेट में के ही चालान काटे जाते हैं। वाहनों की पूरी फिटनेस की जांच को लेकर चालान काटने की संख्या जीरो मात्र है। एक मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर को पांच जिलों का चार्ज

परिवहन विभाग में कर्मचारियों की काफी कमी है। हालात यह है कि पांच जिलों गुरदासपुर, बटाला, तरनतारन, अमृतसर पठानकोट के लिए एक ही मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर है। ऐसे में वाहनों की फिटनेस जांच करना चुनौती है। हर साल 10 फीसद वाहन हो जाते हैं कंडम

जिले में हर साल दस फीसद वाहन कंडम हो जाते हैं। मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर गुरमीत सिंह के मुताबिक हर साल वे ऐसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं, जो कंडम होने के बाद भी चलते हैं। नियम के अनुसार 15 साल बाद वाहनों को कंडम घोषित कर दिया जाता है। जांच के बाद ऐसे वाहन अगर फिट पाए जाते हैं तो उनकी फिटनेट तीन साल के लिए बढ़ाई जाती है। ---कोट्स

वाहनों की फिटनेस संबंधी मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर की ओर से जांच की जाती है। इसके बावजूद भी अगर हाईवे पर कोई ऐसी खस्ता हालत गाड़ी दिखाई देती है तो उसे तुरंत जब्त किया जाता है। दो सालों में ऐसे 300 से अधिक चालान काटे गए हैं।

--बलदेव रंधावा, जिला परिवहन अधिकारी। ---

सड़क पर वाहन चालकों के दस्तावेज जांच किए जाते हैं। अधूरे दस्तावेज वाले वाहन चालकों के चालान भी काटे जाते हैं। फिटनेस की जांच को लेकर ट्रैफिक पुलिस की ओर से सड़क पर दौड़ने वाली खस्ताहाल वाहनों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाती है।

-राजेश कुमार, ट्रैफिक इंचार्ज।


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