मरीजों का नहीं दिखता दर्द, मंत्री के आते ही व्यवस्था ठीक
जिस जिला अस्पताल में मरीज सेहत ठीक करने की आस लिए आते हैं उस जिला अस्पताल की अव्यवस्था ही उनकी हालत खराब कर रही है।
राजिदर कुमार, गुरदासपुर
जिस जिला अस्पताल में मरीज सेहत ठीक करने की आस लिए आते हैं, उस जिला अस्पताल की अव्यवस्था ही उनकी हालत खराब कर रही है। कारण सिविल अस्पताल में स्ट्रेचर होने के बाद भी मरीजों को ऊपरी मंजिल पर शिफ्ट करते समय पैदल ही सीढि़यों के सहारे भेजा जा रहा है। उधर, कुछ माह पहले अस्पताल को प्रोवाइड करवाए गए नए स्ट्रेचर को बाहर खुले आसमान के नीचे पड़े जंग लग रहा है। इस मामले में एक मरीज ने सिविल सर्जन को लिखित में शिकायत भी की गई है। हालांकि मरीज की शिकायत का कोई असर अस्पताल पर नहीं हुआ, लेकिन रविवार को सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू के सिविल अस्पताल में दौरा करने की सूचना के बाद अस्पताल प्रबंधन की ओर से मंत्री के पहुंचने से कुछ मिनट पहले ही खुले आसमान के नीचे पड़े स्ट्रेचर को दर्जा चार कर्मचारियों से ठीक करवाना शुरू कर दिया। जब मंत्री अस्पताल में पहुंचे तो स्ट्रेचर ठीक कर इमरजेंसी वार्ड के बाहर रख दिए गए। 33
केस-1
बाजू टूटी, पैदल ही सीढि़यों के सहारे भेजा ऊपरी मंजिल
गांव सोहल के जगजीत सिंह ने बताया कि तीन दिन पहले सड़क हादसे में उसकी बाजू टूट गई थी। उसकी बाजू पर प्लास्टर लगाया गया। एक दिन उसे नीचे इमरजेंसी में रखा गया। दूसरे दिन उसे ऊपरी मंजिल पर शिफ्ट कर दिया गया। इस दौरान उसने सेहत कर्मियों से उसे स्ट्रेचर पर बिठाकर उपरी मंजिल पर ले जाने के लिए कहा, लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी। उसने शोर भी मचाया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं। आखिर वह पैदल ही सीढि़यों के सहारे उपरी मंजिल की तरफ पैदल ही चल पड़ा। इस दौरान उसके पारिवारिक सदस्य भी उसके साथ रहे। जब वह सीढि़यों के सहारे ऊपरी मंजिल पर जा रहा था तो उसकी बाजू पर एकदम से तेज दर्द शुरू हो गई। बड़ी मुश्किल से वह सीढि़यों के सहारे रेंगता हुआ पहुंचा। अब उसे ऐसा लग रहा है कि उसकी बाजू की हड्डी फिर से हिल गई है। उसकी बाजू पर काफी दर्द निकल रही है। उसने इस संबंधी सिविल सर्जन को भी शिकायत दर्ज करवाई। बावजूद इसके कोई कार्यवाही नहीं हुई। उसने बताया कि अस्पताल में स्ट्रेचर पड़े हुए हैं, लेकिन उनका अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। मरीजों को ऐसे ही पैदल ऊपरी मंजिल पर जाने के लिए कहा जा रहा है।
केस -2
बच्चे को बड़ी मुश्किल से ऊपरी मंजिल पर ले जाया गया
गुरदासपुर के गांव बब्बेहाली के सलीम ने बताया कि गत शुक्रवार को उसका बेटा पतंग उड़ाता छत से नीचे गिर गया था। इस दौरान बच्चे की बाजू टूट गई। उसे अस्पताल में लाया गया, जहां डाक्टरों ने उसकी बाजू में तीन जगह फै्रक्चर होना बताया। इसके बाद डाक्टरों ने उसकी बाजू पर प्लास्टर लगा दिया। बाद में बच्चे को ऊपरी मंजिल पर शिफ्ट कर दिया गया। मगर अस्पताल के कर्मचारियों ने बच्चे को स्ट्रेचर पर बिठाकर ऊपरी मंजिल पर ले जाने की बजाय उसे ऐसे ही पैदल चलने के लिए बोला। वह अपने बच्चे को बड़ी मुश्किल से सीढि़यों के सहारे ऊपरी मंजिल पर ले गए। सीढि़यों के माध्यम से ले जाते समय बच्चे की बाजू पर काफी दर्द निकलने लगा था। कुछ माह पहले दस स्ट्रक्चर मिले थे अस्पताल को
कुछ माह पहले सिविल अस्पताल को दस नए स्ट्रेचर प्रोवाइड करवाए गए थे। लेकिन दस के दस स्ट्रेचर खुले आसमान के नीचे बाहर पड़े हैं। इनका एक बार भी इस्तेमाल नहीं किया गया। इन पर लगे लिफाफे भी अभी नहीं उतरे हैं और ना ही ने अभी तक ठीक करके स्टैंड किया गया है। इन्हें बाहर पड़े पड़े जंग लग रहा है, लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा मरीजों को स्ट्रक्चर की सुविधा प्रोवाइड नहीं करवाई जा रही। मंत्री के पहुंचने से पहले स्ट्रेचर की मरम्मत
सिविल अस्पताल में सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू के आने से कुछ मिनट पहले अस्पताल प्रबंधन की ओर से खुले आसमान के नीचे पड़े स्ट्रेचर की मरम्मत करवानी शुरू करवा दी गई। जब मंत्री अस्पताल में पहुंचे तो स्ट्रेचर तैयार करके इमरजेंसी वार्ड के बाहर रख दिया गए, ताकि मंत्री को यह पता ना चल सके कि स्ट्रेचर का अभी तक इस्तेमाल ही नहीं हुआ है। लिफ्टें भी रहती हैं खराब
अस्पताल में लगी लिफ्टें भी अक्सर खराब रहती हैं। अभी तो लिफ्ट खराब है। इन्हीं दो लिफ्टों के माध्यम से ऊपरी मंजिल की तरफ मरीज जाते थे। लेकिन इनकी मरम्मत ना होने के कारण मरीजों को और ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रोज अस्पताल में 40 से 50 मरीज होते हैं भर्ती
रोज अस्पताल में 40 से 50 मरीज भर्ती होते हैं। ये मरीज सीढि़यों के रास्ते वार्ड तक पहुंच रहे हैं। इन्हें जब ऊपरी मंजिल पर शिफ्ट कर दिया जाता है तो ये पैदल ही अपने तमीरदारों के साथ बड़ी मुश्किल से सीढि़यों के सहारे जाते हैं। अस्पताल प्रबंधन की ओर से इस तरह बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा। कोट्स
पंजाब सरकार ने अस्पताल को स्ट्रेचर मरीजों की सुविधा के लिए ही दिए हैं। अगर अस्पताल में मरीजों के साथ ऐसी अनहोनी हो रही है तो वे मामले की जांच करेंगे।
-डा. वरिदर जगत, सिविल सर्जन।