डाक्टरों की गिरफ्तारी के विरोध में आइएमए ने अनिश्चितकाल के लिए ओपीडी सेवाएं की ठप
निजी अस्पताल में आपरेशन के दौरान अध्यापिका की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है।
जागरण संवाददाता, गुरदासपुर : निजी अस्पताल में आपरेशन के दौरान अध्यापिका की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले में थाना सिटी पुलिस ने डाक्टर एचएस भाटिया, डा. मनजीत सिंह बब्बर और डाक्टर साहिन के खिलाफ धारा 304 के तहत केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने तीनों डाक्टरों को अदालत में पेश कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। जेल में तबीयत खराब होने की शिकायत पर जेल से तीनों डाक्टरों को सिविल अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है। उधर, पुलिस की इस कार्रवाई से गुस्साए आइएमए से संबंधित जिले के सभी डाक्टरों ने वीरवार को अस्पताल बंद कर इमरजेंसी व ओपीडी सेवाएं ठप कर दी। यहीं नहीं सिविल अस्पताल के डाक्टर भी उनके समर्थन में उतर आए। इसके चलते सरकारी अस्पतालों में भी सेहत सुविधाएं पूरी तरह से ठप रही।
आइएमए ने घोषणा की है कि जब तक डाक्टरों के खिलाफ दर्ज मामले में कानून के अनुसार धाराएं नहीं लगाई जाती, तब तक जिले के निजी डाक्टर ओपीडी सेवाएं ठप रखेंगे। डाक्टरों ने इस संबंध में एसएसपी और डीसी को ज्ञापन सौंपकर उचित कार्रवाई की मांग की। आइएमए से संबंधित डाक्टरों ने एसएसपी दफ्तर के बाहर रोष प्रदर्शन करते हुए कहा कि डाक्टरों के साथ ऐसा व्यावहार पूरी तरह अनुचित है। इसे कतई सहन नहीं किया जाएगा। आइएमए के जिला प्रधान डा. बीएस बाजवा ने कहा कि पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के खिलाफ डाक्टरों पर मामला दर्ज किया गया है। ऐसे मामले में मेडिकल बोर्ड के गठन के बाद तथ्यों के आधार पर ही मामला दर्ज किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उन्हें महिला की मौत का दुख है, लेकिन डाक्टरों के साथ पुलिस का ऐसा व्यवहार बिल्कुल गलत है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने डाक्टरों को अवैध तौर पर कस्टडी में रखा। इस दौरान उनके साथ किन्हीं लोगों की ओर से पुलिस की मौजूदगी में मारपीट की गई। मेडिकल में भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की अनदेखी कर डाक्टरों पर केस किया गया : डा. कलेर
डा. एचएस कलेर ने कहा कि पहले तो अस्पताल में गुंडागर्दी की गई और उसके बाद पुलिस ने डाक्टर भाटिया के बेटे को भी हिरासत में ले लिया जबकि इस मामले से उनका कोई लेना देना नहीं था। पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की अनदेखी कर डाक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिले में ऐसा मामला पहली बार सामने आया है। इसके चलते समूह डाक्टरों में रोष पाया जा रहा है। शुक्रवार से आइएमए की प्रदेश कार्यकारिणी भी इस मामले में एक्शन लेने जा रही है। उन्होंने दावा किया कि मेडिकल स्टोर मालिक और लेबोरेटरी टेक्शियन ने भी उन्हें समर्थन देने का विश्वास दिलाया है। सिविल अस्पताल में ठप रहा कामकाज
उधर, आइएमए के आह्वान पर सिविल अस्पताल में भी कामकाज ठप रहा। हालांकि एमरजेंसी सेवाएं चलती रही, लेकिन ओपीडी पूरी तरह से बंद रही। सुबह ईलाज के लिए अस्पताल पहुंचे लोगों के हाथ निराशा लगी। दोपहर तक अस्पताल पूरी तरह से सूना दिखाई दिया। इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे मरीज घरों को लौट गए। गवर्नमेंट टीचर यूनियन ने मामले की बोर्ड गठित कर जांच करने की उठाई मांग
उधर, गवर्नमेंट टीचर यूनियन की जिला इकाई ने अध्यापिका परिमलदीप कौर की निजी अस्पताल में इलाज के दौरान हुई मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया है। प्रधान कुलदीप पूरोवाल ने आरोप लगाया कि उनकी मौत डाक्टरों की लापरवाही के कारण हुई है। अस्पताल प्रबंधकों ने एनस्थीसिया डाक्टर को नहीं बुलाया था। जबकि कानून के अनुसार विशेषज्ञ डाक्टर ही यह टीका लगा सकता है। उन्होंने अध्यापिका की मौत के मामले की जांच डाक्टरों का बोर्ड गठित कर करवाने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर मामले में उचित कार्रवाई न की गई तो बड़ा संघर्ष किया जाएगा। इस मौके पर दिलदार सिंह भंडाल, अनिल कुमार, सुभाष चंद्र, गुरप्रीत रंगीलपुर, हीरा सिंह, सुखविदर रंधावा, कपिल शर्मा, पलविदर कुमार, प्रशोतम कुमार व गुरमीत बाजवा आदि उपस्थित थे।