पंजाब में सेवानिवृत्त टीचर की अद्भुत मुहिम, कूड़े से उगा रहे सब्जियां, पा रहे सेहत का खजाना
पंजाब के बटाला के सेवानिवृत्त शिक्षक पलविंदरजीत सिंह कूड़े से खाद तैयार कर सब्जी उत्पादन कर रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2017 में घर से निकलने वाले कूड़े से कम्पोस्ट बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया था जो बहुत सफलतापूर्वक चल रहा है।
बटाला [संजय तिवारी]। जहां चाह, वहां राह की कहावत को सेवानिवृत्त शिक्षक पलविंदरजीत सिंह ने सच कर दिखाया है। पलविंदरजीत सिंह ने कूड़ा प्रबंधन में शहर वासियों को नई राह दिखाई है। वे अपने घर का कूड़ा बाहर नही फेंकते। कूड़े की खाद बनाकर अपने किचन गार्डन में उससे ताजी और गैर-विषाक्त सब्जियां पैदा करते हैं।
सेवानिवृत्त साइंस अध्यापक पलविंदरजीत सिंह ने कहा कि उन्होंने 2017 में घर से निकलने वाले कूड़े से कम्पोस्ट बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया था, जो बहुत सफलतापूर्वक चल रहा है। उन्होंने कहा कि घर में उन्होंने गीले कूड़े के लिए दो स्टील ड्रम स्थापित किए हैं। वे रसोई के कूड़े और अन्य गीले कूड़े को ड्रम में फेंक देते हैं।
कुछ दिनों के बाद उसमें कुछ मुट्ठीभर देसी खाद डालते हैं। जब ड्रम भर जाता है तो ढक्कन बंद कर देते हैं। इसके बाद वे दूसरे ड्रम में गीला कूड़ा डालना शुरू करते हैं। उन्होंने ड्रम में छेद कर दिया है ताकि ड्रम के अंदर आक्सीजन का प्रवाह जारी रहे। वे रोजाना भरे हुए ड्रम को हिलाते हैं, ताकि कूड़े से आक्सीजन बनाने वाले बैक्टीरिया को आक्सीजन मिलती रहे। इस प्रकार 30 से 35 दिनोंं में यह अपशिष्ट पूर्ण खाद बन जाता है।
सूखे कूड़े को बेच देते हैं
पलविंदरजीत सिंह ने कहा कि वे सूखे कूड़े कागज, प्लास्टिक, कांच आदि को अलग एकत्रित करते हैं। कुछ दिनों के बाद वे इस कूड़े को बेच देते हैं, जिससे उन्हें कुछ पैसे भी मिलते हैं।
वैज्ञानिक तरीके से करते हैं खेती
पलविंदरजीत सिंह वैज्ञानिक पद्धति से छत पर सब्जियों की खेती करते हैं। वे अपने घर की बनी खाद को सब्जियों में डालते हैं। उन्होंने सब्जियों के साथ कुछ फलदार पौधे भी लगाए हैं। देसी उर्वरकों के कारण सब्जियों की पैदावार बहुत अधिक होती है। फलदार पौधे भी अधिक फल देते हैं।
गीले कूड़े से खाद बनाने की अपील
पलविंदरजीत सिंह का कहना है कि घर में कूड़े की खाद बनाने से बाहर कचरे की समस्या पैदा नहीं होती है। दूसरी ओर ताजी और गैर-विषाक्त सब्जियां और फल मिलते हैं। उन्होंने शहर के अन्य लोगों से भी अपील की कि घर में गीले कूड़े को स्वदेशी खाद बनाकर आसानी से निपटारा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो लोग घर पर खाद तैयार नहीं करना चाहते हैं। उन्हें कर्मचारियों को अलग से सूखा और गीला कचरा देना चाहिए, ताकि नगर निगम के गड्ढों में खाद तैयार की जा सके।