गुरुद्वारा छोटा घल्लूघारा के हेड ग्रंथी व हजूरी रागी ने प्रधान को सौंपे इस्तीफे
संवाद सहयोगी, काहनूवान गुरुद्वारा छोटा घल्लूघारा साहिब में कुछ दिनों से चल रहे विवाद के कार
संवाद सहयोगी, काहनूवान
गुरुद्वारा छोटा घल्लूघारा साहिब में कुछ दिनों से चल रहे विवाद के कारण गुरुद्वारा साहिब के मौजूदा प्रबंधकों व संगतों को उस समय भारी झटका लगा, जब गुरुद्वारा साहिब के मौजूदा हजूरी रागी व हेड ग्रंथी ने गुरुद्वारा ट्रस्ट के प्रधान मास्टर जौहर सिंह को अपने इस्तीफे लिखित तौर पर 3 सितंबर की शाम को सौंप दिए।
इस्तीफे देने के बाद सोमवार को सठियाली पुल के नजदीक पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए भाई मलकीत सिंह ने कहा कि 11 अगस्त को घटित घटना के बाद भी गुरुद्वारा साहिब में रखवाए अखंड पाठों का खंडन, लंगर हाल में हुई घटनाएं और रागी पाठी सिंहों के साथ प्रबंधकों के बुरे बर्ताव से वह काफी दुखी थे और उसी समय इस्तीफा देने का मन बना लिया था। क्षेत्र की संगतों की अपील और मौजूदा प्रबंधंकीय ढाचे के बदलाव की आस में उनकी ओर से यह सेवा शहीदों के साथ को समर्पित रखी गई थी, लेकिन प्रबंधकों के गैरजिम्मेदार बर्ताव व मौजूदा कमेटी में कोई बदलाव न होने के कारण उनकी ओर से रविवार की शाम को अपनी सेवाएं समाप्त कर हुए प्रधान मास्टर जौहर सिंह को अपने इस्तीफे लिखित तौर पर सौंप दिए। इसके अलावा उनकी ओर से गत रात ही गुरुद्वारा साहिब से छुट्टी ले ली गई थी। इसके अतिरिक्त गुरुद्वारा साहिब के एक ट्रस्टी की ओर से भी 25 अगस्त को गुरुद्वारा प्रधान को अपना इस्तीफा सौंप दिया गया था, जो कि गुरुद्वारा प्रधान की ओर से हाल ही में नामंजूर कर दिया गया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ट्रस्ट के अन्य सदस्य भी आने वाले दिनों में अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे सकते हैं। जौहर सिंह ने अपना पक्ष बताते हुए कहा कि गुरुद्वारा साहिब के हेड ग्रंथी और हजूरी रागियों की ओर से रविवार को उन्हें इस्तीफे दे दिए थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि गुरुद्वारा साहिब में घटित हुई घटना के लिए विरोधी गुट के साथ मिलकर जो साजिश रची गई थी। उसमें इस्तीफे देने वाले लोग भी शामिल थे। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रस्ट के किसी भी सदस्य ने उन्हें इस्तीफा नहीं दिया है, बल्कि ट्रस्ट के सभी सदस्य एकजुट और एकसार हैं।