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मदर्स डे पर तिरंगे में लिपटे घर पहुंचे प्रगट सिंह

कस्बे के अंतर्गत आते गांव दबुर्जी के 24 वर्षीय सिपाही प्रगट सिंह बर्फीले तूफान की चपेट में आने से शहीद हो गए थे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 06:52 PM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 06:52 PM (IST)
मदर्स डे पर तिरंगे में लिपटे घर पहुंचे प्रगट सिंह
मदर्स डे पर तिरंगे में लिपटे घर पहुंचे प्रगट सिंह

संवाद सहयोगी, कलानौर : कस्बे के अंतर्गत आते गांव दबुर्जी के 24 वर्षीय सिपाही प्रगट सिंह बर्फीले तूफान की चपेट में आने से शहीद हो गए थे। उनका शव रविवार को गांव पहुंचने पर सरकारी सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहीद को उनके पिता प्रीतम सिंह ने मुखाग्नि भेंट की।

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गौरतलब है कि 25 जनवरी को विश्व के सबसे ऊंचे हिमखंड ग्लेशियर में आए बर्फीले तूफान की चपेट में 21 पंजाब रेजीमेंट के तीन सपूत आ गए थे। इनमें जिला बरनाला के गांव कर्मगढ़ के अमरदीप सिंह, जिला मानसा के गांव हाकम वाला के सिपाही प्रभजोत सिंह और दबुर्जी के प्रगट सिंह शामिल थे। अमरदीप सिंह व प्रभजोत सिंह मौके पर ही शहीद हो गए थे जबकि प्रगट सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया था। उनको एयरलिफ्ट कर चंडीगढ़ सेना के कमांड अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उसकी सेहत में काफी सुधार आ रहा था, मगर दो दिन पहले उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। गत दिवस वे 15 दिन मौत से लड़ते हुए जिदगी की जंग हार गए। काबिलेजिक्र है कि रविवार को जब पूरा देश मां-बेटे के पवित्र रिश्ते को दर्शाता मदर्स डे मना रहा था तो प्रगट सिंह तिरंगे में लिपटा हुआ अपने गांव पहुंचा। यहां पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान उनकी मां सुखविदर कौर, बहनें किरणदीप व अमनदीप की करुणामयी सिसकियां पत्थरों का कलेजा छलनी कर रही थीं। शहीद बेटे के सिर पर बांधा सेहरा व दिया कंधा

माहौल उस समय बेहद गमगीन हो गया, जब शहीद की मां सुखविदर कौर ने शहीद व अविवाहित इकलौते बेटे प्रगट सिंह के सिर पर सेहरा सजाकर व उनकी अर्थी को कंधा देकर श्मशान तक पहुंचाया। मां ने कहा कि उनका बेटा तीन साल पहले 21 पंजाब रेजीमेंट में भर्ती हुआ था। पिछले साल नवंबर में छोटी बहन की शादी पर एक माह की छुट्टी लेकर घर आया था। शादी के दूसरे दिन ही वापस ड्यूटी पर लौट गया था। वह पिछले पांच माह से ग्लेशियर की ऊंची पोस्टों पर ड्यूटी दे रहा था। 29 अप्रैल को उसे निचली पोस्टों पर वापस लौटना था, मगर 25 अप्रैल को यह अनहोनी घटना हो गई। मां रो-रोकर कह रही थी अब उनकी अर्थी को कंधा कौन देगा। जवानों ने शस्त्र उल्टे कर शहीद को दी सलामी

तिब्बड़ी कैंट से आई 20 डोगरा रेजीमेंट के जवानों ने शस्त्र उल्टे कर बिगुल की मातमी धुन के साथ हवा में गोलियां दागते हुए शहीद को सलामी दी। पिता प्रीतम सिंह ने शहीद बेटे की चिता को मुखाग्नि दी। शहीद की युनिट की ओर से सूबेदार पुष्पेंद्र सिंह, 20 डोगरा युनिट के नायब सूबेदार दविदर सिंह के अलावा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह व गवर्नर बीपी सिंह बदनौर की ओर से कैबिनेट मंत्री सुखजिदर सिंह रंधावा व जिला प्रशासन की ओर से डीसी मोहम्मद इशफाक, एसडीएम अर्शदीप सिंह लुबाणा, तहसीलदार नवदीप सिंह व शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविदर सिंह विक्की ने शहीद को रीथ चढ़ाकर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। शहीद राष्ट्र का सरमाया : रंधावा

मंत्री सुखजिदर सिंह रंधावा ने कहा कि शहीद कौम राष्ट्र का सरमाया होते हैं। इनकी अमूल्य शहादत का मोल चुकाया नहीं जा सकता। उन्होंने मुख्यमंत्री की तरफ से शहीद परिवार को 50 लाख रुपये की एक्सग्रेशिया ग्रांट व परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की। इस मौके पर रविदर कुमार, भजन सिंह, गुरदेव सिंह, गुरविदर सिंह बाजवा आदि उपस्थित थे। अच्छा खिलाड़ी व धार्मिक शख्सियत के मालिक थे प्रगट सिह

गांव के पूर्व सरपंच गुरविदर सिंह ने कहा कि शहीद प्रगट सिंह का जन्म किसान पिता प्रीतम सिंह व मां सुखविदर कौर की कोख से हुआ था। उसने 12वीं कक्षा सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल फत्तूपुर से पास की थी। वे अपने साथियों के साथ भर्ती देखने जाते थे। प्रगट सिंह एक अच्छा दौड़ाक व धार्मिक शख्सियत के मालिक थे। गांव के ग्रंथी सुखविदर सिंह ने कहा कि प्रगट सिंह जब भी छुट्टी पर आता तो सुबह व शाम को गुरुद्वारा साहिब में पाठ करता था। वह सेना में भी धार्मिक समारोह में पाठ करता था।


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