दरिया पार बसे लोगों ने सरकार के खिलाफ जताया रोष
रावी दरिया के पार बसे गांव के लोगों ने रविवार को केंद्र और पंजाब सरकार के खिलाफ भड़ास निकालते हुए जमकर नारेबाजी की।
शमशेर मिन्हास, बहरामपुर
रावी दरिया के पार बसे गांव के लोगों ने रविवार को केंद्र और पंजाब सरकार के खिलाफ भड़ास निकालते हुए जमकर नारेबाजी की। रविवार को दरिया में जलस्तर सामान्य होने के बाद किश्ती को चलाया गया। इससे बहरामपुर की तरफ आए दरिया पार बसे गांवों के लोग जसविदर सिंह, हरनेक, प्रीतम सिंह, जोगिदर सिंह ने बताया कि बारिश के कारण रावी दरिया में जलस्तर उफान पर चला गया था। इससे अस्थायी पैंटून पुल का रैंप पानी में बह गया था। इस कारण उनका देश के अन्य हिस्सों से संपर्क टूट गया था।
लोगों ने कहा कि उनको किश्ती का ही एकमात्र सहारा था। दरिया में जलस्तर बढ़ने से मल्लाहों ने किश्ती बंद कर दी थी। इस कारण उनका काफी कामकाज प्रभावित हुआ और वे अपने घरों में ही दुबके रहने को मजबूर हो गए। रावी दरिया के पास बसे गांव मम्मी चकरंजा, भरियाल, तूर, चेबे, चुंबर, निक्का बेचिराग, लसियान, कुक्कर के लोगों ने रविवार को दरिया पार करने के बाद रोजमर्रा के काम को शुरू करने से पहले सरकार के खिलाफ गरज उठे। लोगों ने कहा कि यदि स्थायी पुल बनाने की मंजूरी मिल चुकी है तो फिर काम क्यों नहीं शुरू किया जा रहा है। क्या अगले चुनावों का इंतजार हो रहा हैं? फिर से हमें स्थायी पुल बनाने का वादा करके वोट बटोरे जाएंगे। दरिया पार बसे गांवों के लोगों ने केंद्र व राज्य सरकार से मांग की है कि पुल बनाने में राजनीति करने की बजाए जल्द काम शुरू किया जाए। बच्चों की पढ़ाई हो रही प्रभावित
दरिया पार बसे गांवों के लोग जसविदर सिंह, हरनेक, प्रीतम सिंह, जोगिदर सिंह ने बताया कि उनके बच्चे रोजाना दरिया पार करके बहरामपुर क्षेत्र में शिक्षा हासिल करने के लिए आते हैं। मगर अस्थायी पैंटून पुल का रैंप बह जाने के कारण अब किश्ती ही एक मात्र सहारा बची है। वे अपने बच्चों को किश्ती से दरिया पार नहीं भेज सकते। कई बार दरिया में जलस्तर एकदम से बढ़ जाता है, जिससे कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है। स्थायी पुल न होने से पढ़ाई भी बहुत प्रभावित हो रही है। बारिश होने के बाद कई कई दिन उनके बच्चें स्कूल नहीं पहुंच पाते।