पाहड़ा ने सभी 29 वार्डों में जीत हासिल कर रचा इतिहास
सभी 29 वार्डों से कांग्रेसी उम्मीदवारों को जीत दिलाकर हलका विधायक बरिदरमीत सिंह पाहड़ा द्वारा एतिहास रच दिया गया है। इससे पहले कभी भी ऐसी स्थिति नहीं आई जब कौंसिल पर एक ही पार्टी का कब्जा हो जाए।
जागरण संवाददाता, गुरदासपुर : सभी 29 वार्डों से कांग्रेसी उम्मीदवारों को जीत दिलाकर हलका विधायक बरिदरमीत सिंह पाहड़ा द्वारा एतिहास रच दिया गया है। इससे पहले कभी भी ऐसी स्थिति नहीं आई, जब कौंसिल पर एक ही पार्टी का कब्जा हो जाए। एक तरफ जहां पाहड़ा ने गुरदासपुर में एक तरफा जीत का रिकार्ड बना दिया है। वहीं इस मामले में जिले में दो मंत्रियों को भी पीछे छोड़ते हुए कांग्रेस हाईकमान के समक्ष अपनी पैठ को साबित करने में सफल हुए है।
गुरदासपुर के इतिहास में आज तक कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि कौंसिल की सभी सीटों पर एक ही पार्टी का कब्जा हो जाए। सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो, लेकिन सभी पार्टियों के कुछेक उम्मीदवार जरुर जीतते रहे है। पहली बार एक ही पार्टी के सभी उम्मीदवारों को जिताने का पूरा श्रेय विधायक बरिदरमीत सिंह पाहड़ा को जाता है। विधायक पाहड़ा अपनी इस उपलब्धि के पीछे का कारण पिछले चार सालों के दौरान हलके में बिना किसी भेदभाव करवाए गए विकास कार्यों को मानते है।
पार्टी की नजरों में बढ़ा कद
विधायक पाहड़ा द्वारा जहां एक तरफा जीत लेकर गुरदासपुर में अपनी पैठ को साबित किया गया है, वहीं पार्टी की नजरों में भी उनका कद बढ़ गया है। जिसका मुख्य कारण यह है कि जिला गुरदासपुर से दो नगर कौंसिलों फतेहगढ़ चूडिय़ा व दीनानगर का नेतृत्व पंजाब सरकार के मंत्री तृप्त राजिदर सिंह बाजवा व अरुणा चौधरी कर रहे थे। फतेहगढ़ चूडिय़ा से कैबिनेट मंत्री तृप्ता राजिदर सिंह बाजवा के नेतृत्व में लड़ी जा रही कौंसिल में कांग्रेस को 13 में से 12 सीटें मिली है, जबकि एक सीट पर अकाली दल ने जीत हासिल की है। इसी तरह दीनानगर से कांग्रेस पार्टी को 15 में से 14 सीटें मिली है। एक पर आजाद उम्मीदवार ने जीत हासिल की है।
अपने पैतृक कौंसिल में खाता नहीं खोल सके जिला प्रधान
एक तरफ गुरदासपुर नगर कौंसिल में अपने सभी उम्मीदवारों को जीत दिलाकर यहां पाहड़ा ने एतिहास रच दिया है। वहीं शिरोमणि अकाली दल बादल के जिला प्रधान गुरबचन सिंह बब्बेहाली व भाजपा के जिला प्रधान परमिदर सिंह गिल गुरदासपुर से संबंधित होने के बावजूद अपनी पार्टी का खाता खुलवाने में भी असफल रहे है। जिसका खमियाजा उक्त दोनों प्रधानों को आने वाले दिनो में भुगतना पड़ सकता है। क्योंकि इस स्थिति के बाद उनकी अपनी पार्टी के नेताओं व वर्करों द्वारा उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने शुरु कर दिए गए है।
नैतिकता के आधार पर दें इस्तीफा
विधायक बरिदरमीत सिंह पाहड़ा ने कहा कि उन्होंने अपने विकास के नाम पर लोगों से वोट मांगे और लोगों ने भी उनके विकास पर मोहर लगाते हुए सभी 29 वार्डों से उन्हें जीत दिलाई है। जिससे साबित होता है कि हलके के लोग अकाली दल व भाजपा के जिला प्रधानों को पूरी तरह से नकार चुके है। इस लिए दोनों प्रधानों को नैतिकता के आधार पर इस्तीफे देने चाहिए ताकि पार्टी में मौजूद अन्य योगय लोगों को मौका मिल सके। उन्होंने कहा कि उक्त लोगों को अपनी हार की जिम्मेदारी लेते हुए खुद ही अपने पदों से इस्तीफा देकर फिर से जनता की कचहरी में आना चाहिए।
पाहड़ा के लिए शुभ 29 का आंकड़ा
विधायक बरिदरमीत सिंह के लिए 29 का आंकड़ा काफी शुभ रहा है। 2017 में पहली बार विधानसभा के चुनाव के दौरान उन्होंने अपने विरोधी उम्मीदवार अकाली दल के गुरबचन सिंह बब्बेहाली को 29 हजार की लीड से पराजित किया था। जबकि इस बार उन्होंने 29 में से 29 वार्डों पर जीत हासिल कर यह साबित कर दिया है कि बात जब 29 के आंकड़े की हो तो उन्हें पराजित नहीं किया जा सकता।