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इंग्‍लैंड में बनाया ऊंचा मुकाम, लेकिन पंजाब में बसा रहा दिल, आज हैं डेढ़ हजार बेटियों के पिता

पंजाब के हरजीत सिंह बरसों पहले इंग्‍लैंड की राजधानी लंदन जाकर बस गए और कड़ी मेहनत से वहां मुकाम बनाया। इसके बावजूद उनका दिल पंजाब में बसा रहा। आज वह पंजाब में डेढ़ हजार बेटियों के पिता हैं। वह गरीब लड़कियों की शादी कराते हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 06:02 AM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2021 01:18 PM (IST)
इंग्‍लैंड में बनाया ऊंचा मुकाम, लेकिन पंजाब में बसा रहा दिल, आज हैं डेढ़ हजार बेटियों के पिता
एक विवाह समारोह मेें हरजीत सिंह यूके वाले। (फाइल फोटो)

विनय कोछड़, बटाला (गुरदासपुर)। पंजाब के एक शख्‍स इंग्‍लैंड में बस गए और कड़ी मेहनत व कौशल से बड़ा मुकाम हासिल किया। लेकिन, उनका दिल पंजाब में ही बसा रहा। आज पंजाब में वह करीब डेढ़ हजार बेटियों के 'पिता' या यू कहें 'बाबुल' हैं। लंदन में बसे हरजीत सिंह हर साल पंजाब में अपने गांव आकर गरीब बेटियों की शादी करवाते हैं। यह कार्य वह खुद के गरीब नवाज चैरिटेबल संस्‍था के माध्‍यम से करते हैं।

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इंग्लैंड में रहकर चला रहे गरीब नवाज चैरिटेबल संस्था, जरूरतमंदों का बने सहारा

इंग्लैंड की राजधानी लंदन में बसे हरजीत सिंह को उनके गांव में लोग बाबा हरजीत सिंह यूके वाले के नाम से बुलाते हैं। जरूरतमंद व गरीब बेटियों के लिए वह 'बाबुल' से कम नहीं हैं। 1996 में हरजीत सिंह इंग्लैंड में बस गए थे। वहां उन्होंने धीरे-धीरे मुकाम हासिल किया, लेकिन उनका दिल हमेशा यहीं भारत में रहा। इसलिए लोगों की सेवा के लिए 2015 में गरीब नवाज चैरिटेबल संस्था की नींव रखी।

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इस संस्था के माध्यम से हरजीत सिंह डेढ़ हजार जरूरतमंद बेटियों का विवाह (आनंद कारज) करवा चुके हैं। आनंद-कारज पूरे धार्मिक रीति-रिवाज व रस्मों के साथ निभाया जाता है। घर चलाने के लिए बेटियों को रसोई का जरूरी सामान, बेड, बिस्तर, कपड़े, ट्रंक पेटी, कुर्सियां-मेज आदि सभी जरूरी वस्तुएं दी जाती हैं। शगुन के रूप में 2100 से 3100 रुपये की राशि दी जाती है।

गरीब बेटियों के सामूहिक विवाह का खर्च उठाती है संस्था, गृहस्थी का समान भी देती है

हर वर्ष फरवरी और सितंबर महीने में सामूहिक आनंद-कारज समागम आयोजित किया जाता है। समारोह में शामिल होने वाले सभी लोगों के खाने का इंतजाम भी संस्था करती है। बाबा हरजीत सिंह यूके में अखंड पाठ व कीर्तन आदि से जो भी कमाते हैं, उसे इस पुण्य काम में लगा देते हैं। इसके अलावा कुछ समाजसेवी उन्हें इस पवित्र कार्य के लिए दान भी देते हैं।

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बाबा हरजीत कहते हैं, ऐसा करके मन को शांति मिलती है। 'मेरी खुद की बेटी है। इसलिए हर लड़की में अपनी बेटी का चेहरा नजर आता है।' पहले वह अपनी संस्था के माध्यम से धार्मिक समागम कर संगत को पंथ के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते थे। धीरे-धीरे उन्होंने सामाजिक कार्यो की तरफ ध्यान देना शुरू किया और आज अपनी संस्था की बदौलत कई जरूरतमंद बेटियों के घर बसा रहे हैं।

एक माह पहले शुरू हो जाती हैं तैयारियां

हरजीत सिंह बताते हैं कि सामूहिक आनंद कारज समागम की तैयारियां एक माह पहले शुरू हो जाती हैं। विभिन्न माध्यमों से इस कार्यक्रम का प्रचार किया जात है। इंटरनेट मीडिया का भी सहारा लिया जाता है। अलग-अलग वाट्सएप ग्रुप्स में इसकी सूचना शेयर की जाती है। लोगों से अपील की जाती है कि उनकी नजर में कोई गरीब जरूरतमंद परिवार की बेटी विवाह योग्य है तो संस्था उसके आनंद-कारज में हर प्रकार की सहायता करेगी। इससे कई लोग उनके संपर्क में आते हैं। पूरी जांच पड़ताल के बाद जोड़ों का चयन किया जाता है और उनका विवाह करवाया जाता है।

देश-विदेश से आते हैं रागी जत्थे

इस समागम से तीन दिन पहले अखंड-पाठ रखे जाते हैं। इसमें देश-विदेश से रागी-जत्थे यहां पहुंचते हैं। उनके रहने व खानपान का सारा बंदोबस्त संस्था की ओर से किया जाता है। इस बार 7 फरवरी को आनंद-कारज समागम निर्धारित किया गया है। संस्था के मुताबिक अमृतसर, गुरदासपुर, तरनतारन, पठानकोट से कुल पांच बच्चियों के आनंद-कारज की सूची पहुंच चुकी है। उम्मीद है कि इस बार यह आंकड़ा सौ के करीब पहुंच जाएगा।

गुरु मर्यादा का खास खयाल

संस्था गुरु मर्यादा का खास खयाल रखती है, क्योंकि आनंद-कारज सादे तरीके से ही किया जाता है। हालांकि बारातियों के खानपान में कोई कसर नहीं रखी जाती। आनंद कारज के बाद लड़कियों को हर त्योहार पर उपहार भी दिया जाता है। दीवाली, लोहड़ी पर ये उपहार उनके घर तक पहुंचाए जाते हैं।

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