फिल्मों के बाद राजनीति में भी स्टार बने थे विनोद खन्ना, जानें क्यों कहा जाता है उन्हें 'पुलों के बादशाह'
विनोद खन्ना गुरदासपुर से चार बार गुरदासपुर के सांसद बने। छह अक्टूबर 1946 को जन्मे विनोद खन्ना का 27 अप्रैल 2017 को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था।
गुरदासपुर [सुनील थानेवालिया]। फिल्मी दुनिया में तहलका मचाने के बाद राजनीतिक सफर शुरू करने वाले गुरदासपुुुर के पूर्व सांसद व फिल्मस्टार विनोद खन्ना को यहां के लोगों ने भरपूर प्यार दिया। वह चार बार गुरदासपुर के सांसद बने। छह अक्टूबर, 1946 को जन्मे विनोद खन्ना का 27 अप्रैल 2017 को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। गुरदासपुर के लोग आज भी उन्हें 'पुलों का बादशाह' के रूप में याद करते हैं। छह अक्टूबर को उनकी जयंती के मौके पर आइए डालते हैं उनके राजनीतिक करियर पर एक नजर...
विनोद खन्ना ने अपनी जवानी के दिनों में फिल्म इंडस्ट्री को कई हिट फिल्में दी। इनमें से मेरा गांव मेरा देश, दयावान, फरिस्ते आदि शामिल हैं। वर्ष 1998 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा। हैरानी की बात यह थी कि उन्होंने फिल्मी दुनिया की तरह राजनीति में भी आते ही तहलका मचा दिया। वह पंजाब के गुरदासपुर से पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और यहां से लगातार पांच बार चुनाव जीतने वाली कांग्रेस सांसद सुखबंस कौर भिंडर को मात दे दी।
इसके बाद विनोद खन्ना 1998 से लेकर 2004 तक लगातार तीन बार गुरदासपुर के सांसद बने। 2009 में वह कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा से हार गए थे, लेकिन वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा को बड़े अंतर से पराजित कर दिया। हालांकि इसके बाद से उनकी तबियत लगातार खराब रहने लगी थी।
पुलों के बादशाह थे विनोद खन्ना
विनोद खन्ना ने सांसद बनने के बाद लोकसभा हलके की सबसे बड़ी समस्या कनेक्टिविटी की कमी पर फोकस किया। उन्होंने सबसे पहले दरिया ब्यास के मकौड़ा पत्तन पर पुल का निर्माण करवाया। इससे आम लोगों को बहुत राहत मिली, क्योंकि गुरदासपुर से होशियापुर जाने के लिए कई किलोमीटर का सफर कम हो गया। इसके बाद खन्ना ने कथलोर के पास पुल का निर्माण करवाया गया। उनके इसी योगदान के चलते क्षेत्र के लोगों ने उन्हें 'पुलों का बादशाह' खिताब दे डाला।
पत्नी कविता खन्ना को पार्टी ने किया दरकिनार
सांसद विनोद खन्ना के निधन के बाद वर्ष 2017 में हुए उपचुनाव में उपचुनाव में उनकी पत्नी कविता खन्ना को भाजपा का टिकट मिलने के कयास लगाए जा रहे थे। लंबी खींचतान के बाद पार्टी ने कविता खन्ना के बजाय स्वर्ण सलारिया को मैदान में उतारा। हालांकि वह कांग्रेस के कद्दावर नेता सुनील जाखड़ के आगे नहीं टिक पाए और चुनाव हार गए।
गुरदासपुर का सिने स्टारों से खास नाता
गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र के लोगों का सिने स्टारों से खास लगाव है। वर्ष 2017 में कांग्रेस से मात खाने के बाद वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां सिने स्टार सनी देयोल को मैदान में उतारा। पार्टी का यह फैसला सही साबित हुआ और उनकी लोकप्रियता के आगे कांग्रेस के सुनील जाखड़ नहीं टिक पाए और चुनाव हार गए।
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