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योग कर निरोग रहने की सिखाई कला

21 जून को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाने वाले योग दिवस के बारे में शहर वासियों को जागरूक करने तथा शरीर को निरोग रखने के उद्देश्य से श्री राम तलाई मंदिर में योग गुरु हर्ष हांडा तथा शक्ति हांडा ने निशुल्क योग शिक्षा देने का बीड़ा उठाते हुए क्लास की शुरुआत की।

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Apr 2021 04:39 PM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 04:39 PM (IST)
योग कर निरोग रहने की सिखाई कला
योग कर निरोग रहने की सिखाई कला

संवाद सूत्र, बटाला : 21 जून को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाने वाले योग दिवस के बारे में शहर वासियों को जागरूक करने तथा शरीर को निरोग रखने के उद्देश्य से श्री राम तलाई मंदिर में योग गुरु हर्ष हांडा तथा शक्ति हांडा ने निशुल्क योग शिक्षा देने का बीड़ा उठाते हुए क्लास की शुरुआत की।

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योग की पहली क्लास सुबह सवा पांच बजे हर्ष हांडा के नेतृत्व में शुरू हुई, जो सवा छह बजे तक चली। इसमें योग गुरु हर्ष द्वारा अलग-अलग योग करवाए गए, दूसरी क्लास योग गुरु शक्ति हांडा के नेतृत्व में सवा छह बजे शुरुआत हुई। इसमें उन्होंने प्राणायाम के बारे में विस्तार से बताया। पूरक, रेचक और कुंभक क्रिया योग के बारे में बतलाया। योग में पूरक और रेचक क्रिया बहुत महत्वपूर्ण है। वैसे तो हम हर पल पूरक और रेचक क्रिया करते ही रहते हैं। पूरक का अर्थ है श्वास लेना और रेचक का अर्थ है श्वास छोड़ना। हम जन्म से लेकर मृत्यु तक पूरक और रेचक क्रिया करते रहते हैं। श्वास लेने और छोड़ने के बीच हम कुछ क्षण के लिए रुकते हैं। इस रुकने की क्रिया को ही कुंभक कहते हैं। जब श्वास लेकर हम अंदर रुकते हैं तो उसे आभ्यांतर कुंभक कहते हैं और जब बाहर रुकते हैं तो उसेबाह्य कुंभक*कहते हैं। अब आप जानकर श्वास छोड़े और लें। छोड़ते वक्त तब तक श्वास छोड़ते रहें जब तक छोड़ सकते हैं और फिर तब तक श्वास दोबारा न लें जब तक उसे रोकना मुश्किल होने लगे। फिर श्वास तब तक लेते रहें जब तक पूर्ण न हो जाएं और फिर श्वास को सुविधानुसार अंदर ही रोककर रखें। इस तरह पूरक, रेचक और कुंभक का अभ्यास करें। पूरक, रेचक और कुंभक के अच्छे से अभ्यास के बाद सिर्फ रेचक क्रिया ही करें। श्वास छोड़ने की प्रक्रिया को ही रेचक कहते हैं और जब इसे थोड़ी ही तेजी से करते हैं तो इसे कपालभाती प्राणायाम कहते हैं। सामान्यता हम 400 से 500 एम एल आक्सीजन लेते हैं लेकिन इस क्रिया को करने पर हम 4000 से 5000 एमएल ऑक्सीजन तक भी ग्रहण कर लेते हैं

इसका लाभ : इस क्रिया से सारा स्ट्रेस बाहर आ जाता है। अनावश्यक चर्बी घटकर बॉडी फिट रहती है और भीतर जो भी दूषित वायु तथा विकार है, उसके बाहर निकलने से चेहरे और शरीर की चमक बढ़ जाती है। इसे करने के बाद 10 मिनट का ध्यान करें। इससे आपका तन, मन और प्राण तरोताजा हो जाएगा। यह शरीर को स्वस्थ रखने में सक्षम है।इसका अभ्यास किसी योगाचार्य के निर्देशन मे ही करना चाहिए।


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