सिद्धू साहब! इस बार युद्धबंदियों की रिहाई का रास्ता भी खुलवाकर आएं
सिद्धू साहब अपने दोस्त इमरान खान की सरकार बनने पर पहली बार आप पाकिस्तान गए थे तो करतारपुर कॉरिडोर का रास्ता खुलवाया।
संवाद सहयोगी, गुरदासपुर : सिद्धू साहब अपने दोस्त इमरान खान की सरकार बनने पर पहली बार आप पाकिस्तान गए थे तो करतारपुर कॉरिडोर का रास्ता खुलवाया। अब जब 28 नवंबर को पाकिस्तान में गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के कॉरिडोर का शिलान्यास रखने आप दूसरी बार वहां जाएंगे तो देश के 54 युद्धबंदियों की रिहाई का रास्ता भी खुलवाकर आएं। ये युद्धबंदियों के परिवार हमेशा आपके ऋणी रहेंगे। यह गुहार लगाई है निकटवर्ती गांव बरनाला के युद्धबंदी सिपाही सुजान ¨सह के परिवार ने।
सुजान सिंह का परिवार पिछले 54 वर्षो से अपने घर के चिराग की वतन वापसी की उम्मीद का दीया जलाए हुए उनका इंतजार कर रहा है। जब-जब भी भारत-पाक के रिश्तों में कुछ सुधार होता है तो इस परिवार की उम्मीद बढ़ जाती है कि शायद इस बार पाकिस्तान की जेल में बंद सुजान ¨सह की रिहाई संभव हो सके। गत दिवस डेरा बाबा नानक स्थित करतारपुर कॉरिडोर का शिलान्यास उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू व पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह द्वारा करने से समूह पंजाब वासियों में खुशी की लहर व्याप्त है। इस खुशी की लहर में सुजान ¨सह के परिवार को भी एक आस जगी है। उनके भाई म¨हदर ¨सह व भाभी बिमला देवी ने नम आंखों से बताया कि डेरा बाबा नानक में कॉरिडोर के शिलान्यास के बाद 28 नवंबर को पाकिस्तान की तरफ से भी वहां की सरकार गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के कॉरिडोर का शिलान्यास करने जा रही है। उस समारोह में शामिल होने के लिए कैबिनेट मंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू दूसरी बार पाकिस्तान जा रहे हैं। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि सिद्धू साहब आप पहली बार पाकिस्तान गए थे तो वहां के सेना मुखी जनरल बाजवा को गले लगाकर उनके कान में यह कहा था कि करतारपुर का रास्ता खोल दिया जाए। अब आप दूसरी बार पाकिस्तान जा रहे हो तो इस बार जनरल बाजवा को आप जब जफ्फी डालो तो उनके कान में यह कह देना कि 1965 व 1971 के 54 युद्धबंदी की रिहाई का रास्ता भी खोल दो। इन 54 युद्धबंदियों में उनका भाई सिपाही सुजान ¨सह भी शामिल है, जो पिछले 54 वर्षो से पाकिस्तान की अलग-अलग जेलों में जुल्म सह रहे हैं। इससे युद्धबंदियों के परिजनों के रिसते जख्मों पर मरहम लग सकेगी।
म¨हदर ¨सह व भाभी बिमला देवी ने मंत्री नवजोत सिद्धू से अपील की कि अगर आप कहते हैं कि उनके कहने पर ही कॉरिडोर का रास्ता खोलने का फैसला पाक सरकार ने लिया है। अगर जनरल बाजवा व पाक प्रधानमंत्री इमरान खां आपके इतने ही प्यारे हैं तो अपने इस दौरे में देश के 54 युद्धबंदियों की खबर भी साथ लेकर आएं। युद्धबंदियों के परिवार हमेशा आपके ऋणी रहेंगे। बेटे के गम में मां और चार भाई चल बसे
म¨हदर सिंह ने बताया कि उनके भाई सुजान ¨सह ने 1965 के भारत-पाक युद्ध में पाक सैनिकों को अपनी बहादुरी व शौर्य से धूल चटाई थी। इसके बाद पाक सेना ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। बेटे के गम में मां संतो देवी ने खाना-पीना छोड़ दिया तथा कुछ समय बाद पुत्र वियोग में चल बसी। इसके बाद युद्धबंदी भाई के इंतजार में उनके चार भाई भी संसार को अलविदा कह गए। युद्ध के पांच साल बाद 1970 में मिली पाक में कैद होने की खबर
म¨हदर सिंह ने सजल आंखों से बताया कि उनका भाई 1957 में भारतीय सेना की 14वीं फील्ड रेजीमेंट में भर्ती हुआ था। उन्हें विवाह सूत्र में बंधे हुए छह महीने ही हुए थे कि भारत-पाक युद्ध का ऐलान हो गया। नई नवेली दुल्हन का मोहपाश भी सुजान ¨सह को मातृ भूमि की रक्षा के लिए सरहद पर जाने से रोक नहीं पाया। सूचना मिलने पर सुजान ¨सह तुरंत ही युनिट में वापस जाकर युद्ध मोर्चे पर जा डटे। उन्होंने बताया कि युद्ध समाप्ति की घोषणा के बाद जब उनका भाई वापस नहीं लौटा तो परिवार को किसी अनहोनी का भय सताने लगा। सबसे ज्यादा मानसिक रूप से हताश सुजान ¨सह की दुल्हन तारो देवी थी, जिसके हाथों की महंदी और सुर्ख चूड़े का रंग भी फीका नहीं हुआ था। वह बड़ी उम्मीदों से युद्ध समाप्ति के बाद अपने पति का घर लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी, पर सुजान सिंह का पता नहीं चला। उन्होंने बताया कि सुजान सिंह के पाकिस्तान जेल में बंद होने की जानकारी 1970 में उस समय मिली, जब जेल से लिखा खत उन्हें मिला। इसके बाद 6 जुलाई 1970 को अमृतसर के साहोवाल गांव के दो कैदी पाक जेल से रिहा होकर वतन वापस लौटे तो उन्होंने अमृतसर में सुपरिंटेंडेंट को लिखित रूप में बताया कि भारतीय सेना का वायरलेस ऑपरेटर सुजान ¨सह सियालकोट जेल के इंटेरोगेशन सेल में बंद है। वहां पर उस पर बेतहाशा जुल्म ढहाए जा रहे हैं। इसके बाद वह वर्षो तक अपने भाई को पाकिस्तान से रिहा करवाने के लिए भारत सरकार से गुहार लगाते रहे, मगर हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी। आतंक को शह देना बंद करे पाक : कुंवर विक्की
इस मौके पर शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर र¨वदर ¨सह विक्की ने कहा कि करतारपुर कॉरिडोर शिलान्यास से दोनों देशों के रिश्तों में सुधार आने की एक उम्मीद जगी है, मगर जब तक पाक जेलो में बंद 54 जंगी सिपाहियों की रिहाई नहीं होगी तब तक भारत-पाक रिश्तों पर जमीं बर्फ नहीं पिघलेगी। इस लिए पाकिस्तान को चाहिए कि वह आतंकवाद को शह देना बंद करे तथा सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ रोके। उन्होंने कैबिनट मंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू से अपील करते हुए कहा कि अगर उनके कहने पर पाक प्रधानमंत्री व वहां के सेना प्रमुख जनरल बाजवा हमारे युद्धबंदियों की रिहाई को सुनिश्चित करते है तो देश यह समझेगा कि पाक प्रधानमंत्री व सेना प्रमुख के दिल में उनके प्रति सही मायनों में सम्मान है। इस अवसर पर शमशेर ¨सह, लख¨वदर ¨सह, दमनप्रीत ¨सह, नवदीप ¨सह, अर¨वद ¨सह, जसबीर ¨सह, नवनीत ¨सह, पंकज ¨सह आदि उपस्थित थे।