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पंचायती चुनाव की प्रक्रिया के पहले दिन बीडीपीओ कार्यालय में बना मेले जैसा माहौल

पंजाब में पंचायत के चुनाव छह माह पिछड़ कर होने या रहे हैं, मगर पंजाबियों में पंचायती चुनाव का उत्साह पूरी तरह बरकरार है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 08:03 PM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 08:03 PM (IST)
पंचायती चुनाव की प्रक्रिया के पहले दिन बीडीपीओ कार्यालय में बना मेले जैसा माहौल
पंचायती चुनाव की प्रक्रिया के पहले दिन बीडीपीओ कार्यालय में बना मेले जैसा माहौल

संवाद सूत्र, काहनूवान : पंजाब में पंचायत के चुनाव छह माह पिछड़ कर होने या रहे हैं, मगर पंजाबियों में पंचायती चुनाव का उत्साह पूरी तरह बरकरार है। पंचायती चुनाव के नोटीफिकेशन से पहले दिन की प्रक्रिया में बड़ी संख्या में लोगों की हाजिरी बीडीपीओ कार्यालय में देखने को मिली।

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शनिवार जब बीडीपीओ कार्यालय काहनूवान का मौका देखा गया तो वहां बड़ी संख्या में पंच व सरपंची के उम्मीदवार अपने समर्थकों सहित सरगर्म दिखाई दिए। इन पंचायती चुनाव के लिए पंजाब सरकार द्वारा नियमित किया गया चुनाव अमल व अधिकारी बीडीपीओ कार्यालय में सरगर्म नजर आया। कार्यालय कानून के अधीन पड़ती 136 पंचायतों को कुल 13 जोनों में बांट कर लिस्ट भी बीडीपीओ कार्यालय में चिपका दी गई है। इन चुनाव में एक विशेष रुझान देखने को मिला कि रिवायती अकाली सियासी पार्टियों के गुटों की जगह कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों का तांता लगा नजर आया। विरोधी गुट अकाली दल का इक्का दुक्का उम्मीदवार ही बीडीपीओ कार्यालय में पहुंचाया। चाहवान उम्मीदवारों द्वारा अपने कागजात लेने के बाद साथियों सहित एनओसी व अन्य प्रक्रिया पूरी करने का भी प्रयास किया जा रहा है। मगर नामांकन वाला फार्म बहुत ही पेचीदा होने के कारण आम व्यक्ति या आम उम्मीदवार यह फार्म भरने से असमर्थ नजर आ रहा है। उम्मीदवारों द्वारा यह फार्म पंचायत विभाग के अधिकारियों व वकीलों के माध्यम से भरे जा रहे हैं। यह भी रुझान देखने को मिल रहा है कि अधिकतर गांवों में सर्वसम्मति को पहल दी जा रही है, क्योंकि अधिकतर जगहों गांवों में अकाली दल के वर्कर या नेता पंचायती चुनाव लड़ने के चाहवान नजर नहीं आ रहे हैं। इसलिए हाल की घड़ी कई गांवों में अकालियों द्वारा कांग्रेसी उम्मीदवारों को हिमायत दी जा रही है। जिस कारण कांग्रेसी गुटों के ¨सग अधिकतर फसते नजर आ रहे हैं। चुनाव कमिशन पंजाब द्वारा बीडीपीओ कार्यालय में लेने वाली एनओसी की जगह पर उम्मीदवार का हलफिया बयान ही नोटरी के माध्यम से लेना मंजूर कर लिया है, मगर फिर भी उम्मीदवारों के गवाहों के लिए चूला टैक्स की रसीदों का लेना जरूरी है। इस संबंधी जब बीडीपीओ काहनूवान ¨जदरपाल ¨सह से बात की तो उन्होंने कहा कि चुनाव कमिशनल द्वारा भेज गए अमले द्वारा अपनी अपनी ड्यूटी संभाल ली गई है।


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