तालाबों के गंदे पानी को साफ कर आर्गेनिक खेती कर सकेंगे किसान
अब तालाबों में जमा गंदे पानी से किसान आर्गेनिक खेती कर सकेंगे।
संवाद सहयोगी, गुरदासपुर : अब तालाबों में जमा गंदे पानी से किसान आर्गेनिक खेती कर सकेंगे। विश्वास करना कठिन है, मगर ये सच है। सरकार ने ऐसी योजना बनाई है कि गांव की नालियों से बहकर आई गंदगी को तालाब में स्टोरेज कर उसे साफ कर खेती में इस्तेमाल किया जाए। पानी भी ऐसा साफ होगा कि खेतों में लगाने के बाद खाद की जरूरत भी नहीं होगी। इसके लिए गांव अवांखा में काम भी शुरू हो चुका है। एक महीने में तालाब का काम पूरा हो जाएगा।
गांव की सरपंच गीता ठाकुर ने बताया कि कैबिनेट मंत्री अरुणा चौधरी की प्रयासों से गांव के तलाब का पानी को प्राकृतिक तरीके से साफ किया जाएगा। इसके लिए फाइव पॉंड सिस्टम पर काम चल रहा है। इस सिस्टम में पानी को पांच चरणों से गुजारा जाएगा। पांचवें चरण में आते-आते पानी खेती व पशुओं के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा। तालाबों में गंदे पानी में बीओडी (बायो केमिकल आक्सीजन डिमांड) 100 तक होती है इतनी बीओडी का पानी पशुओं और फसलों के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए पानी की बीओडी को कम करके 30 तक लाया जाएगा। 30 बीओडी का पानी फसलों और पशुओं के लिए उपयुक्त होता है। अगर तालाब के पानी को पेयजल के लिए इस्तेमाल करना होगा तो इसी पानी को 20 बीओडी तक साफ किया जाएगा। गांवों में पेयजल की किल्लत के दौरान ही पानी को 20 बीओडी तक साफ किया जाएगा। पांच से सात दिन में साफ हो जाएगा पानी
एक बड़े तालाब में से पांच अलग-अलग छोटे पॉंड बनाए जाएंगे। सबसे पहले गंदा पानी सबसे पहले वाले पॉंड में आएगा। इस पॉंड की गहराई 10 फुट होगी। इसके साथ ही दूसरा पॉंड बनाया जाएगा, जिसकी गहराई भी 10 फुट होगी। वहीं अन्य तीन पॉंडों की गहराई पांच-पांच फुट होगी। अंतिम पॉंड की गहराई तो पांच फुट होगी मगर इसकी चौड़ाई अधिक होगी। पानी को साफ करने की प्रक्रिया में पांच से सात दिन तक का समय लगेगा। ऐसे साफ होगा पानी
एरोबिक पॉंड- सबसे पहले 10 फुट गहरे पौंड में आकर पानी एकत्रित होगा। इस पौंड की चौड़ाई कम गहराई अधिक होती है। इसमें गंदा पानी आने के बाद एनारॉबिक एक्टीविटी इसमें होगी। सूरज की किरणें आक्सीजन के साथ मिलकर गंदे जीवाणुओं को नष्ट कर देंगी। इस गंदगी में ऐसे जीवाणु मौजूद रहते हैं, जो धूप और आक्सीजन से प्रक्रिया में सक्रिय हो जाते हैं और गंदगी को खाते हैं। ये जीवाणु सूर्य की किरणों से बचकर रहते हैं। इसलिए इसलिए पहले दो पौंड की गहराई दस फुट तक रखी गई है ताकि सूर्य की किरणे नीचे तक न जा पाएं। पहला और दूसरा पौंड इसी विधि पर काम करेगा।
नारोबिक पौंड : तीसरा और चौथे पौंड में एनारोबिक प्रक्रिया से पानी साफ किया जाएगा। पहले और दूसरे पौंड से पानी फक्यूलेटिव होकर तीसरे और चौथे पौंड में आ जाएगा। इस पौंड में ऐसे जीवाणु मौजूद रहेंगे जो सूर्य की किरणों के साथ मिलकर पानी को साफ करेंगे। इन जीवाणुओ पर सूर्य की किरणों का प्रभाव नहीं होता और पानी को साफ करने में ये मदद करते हैं। तीसरे और चौथे पौंड से पानी पांचवे पौंड में चला जाएगा।