किसानों को एमएसपी खत्म होने का डर
केंद्र सरकार की ओर से कृषि को लेकर पास किए गए विधेयकों पर देश में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।
जागरण संवाददाता, गुरदासपुर : केंद्र सरकार की ओर से कृषि को लेकर पास किए गए विधेयकों पर देश में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। किसान लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। पिछले लंबे समय से यहां विरोधी राजनीतिक पार्टियां भी इसका विरोध कर रही है। हालांकि केंद्र सरकार का यह दावा है कि यह बिल किसानों के हक में है। इसे लेकर दैनिक जागरण ने विभिन्न किसान नेताओं से बातचीत कर इस मामले संबंधी उनकी राय जाने का प्रयास किया है।
किसानों को डर है कि ये विधेयक लागू करने से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की घोषणा बेअसर हो जाएगी। वहीं राज्य सरकारों की ओर से गेहूं, धान, कपास और गन्ने की हो रही खरीद बंद हो जाएगी। 28
तय लिमिट से अधिक अनाज नहीं रख जाएंगे किसान : अमनदीप
किसान नेता अमनदीप सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार ने कोरोना संकट की आड़ में कृषि विधेयक लागू कर दिए हैं। ये विधेयक लागू होने से पंजाब और हरियाणा में राज्य सरकारों की ओर से गेहूं, धान, कपास और गन्ने की हो रही खरीद ठप हो जाएगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा बेअसर साबित होगी। निर्यातकों को इस आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल से बाहर रखा जा रहा है। इसका मतलब है कि उन पर ये लागू नहीं होगा। वे जितना अनाज चाहे अपने साथ रख सकते हैं, क्योंकि उन्हें निर्यात करना है। लेकिन किसानों पर ये पाबंदी लागू होगी कि वे एक तय लिमिट से ज्यादा अनाज नहीं रख सकते हैं। 29
निजी व्यापारियों को होगा फायदा : राजिंदर
किसान राजिदर सिंह ने कहा कि इस बिल के लागू होने से निजी व्यापारियों को फायदा पहुंचेगा। खास तौर पर उन व्यापारियों को जिनके पास जमाखोरी के लिए बड़ी व्यवस्था है। निजी कंपनियां किसान से खाद्य तेल खरीद कर उसको जमा कर सकती हैं और बिना किसी वजह के बाजार में उसका दाम बढ़ा सकती हैं। इससे मुनाफा उनको होगा। किसानों को इससे कुछ खास फायदा नहीं होगा। सरकार को यह फैसला तुरंत वापस लेना चाहिए। 30
कंपनियों के अधीन हो जाएंगे किसान : कश्मीर
किसान कश्मीर सिंह ने कहा कि कृषि से जुड़े विधेयकों का पंजाब में काफी विरोध हो रहा है। किसान और व्यापारियों को इससे एपीएमसी मंडियां खत्म होने की आशंका है। अब तो इन विधेयकों के खिलाफ पंजाब के प्रमुख राजनीतिक दलों ने भी विरोध जताना शुरू कर दिया है। उन्होंने रिलायंस जियो का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे पहले जियो आया और उन्होंने सस्ता दिया और बाद में धीरे-धीरे दाम बढ़ गए। प्राइवेट कंपनियां किसानों को सुविधाएं, पैसा देंगी, लेकिन उसके बाद किसान उनके अधीन हो जाएंगे। जो वे कहेंगी उनकी शर्तो पर किसानों को रहना पड़ेगा।