पराली जलाएं नहीं, खेतों में मिलाकर उपजाऊ शक्ति बढ़ाएं
कृषि विभाग ने किसानों से पराली न जलाने की अपील की है और उन्हें खेतों में पराली ले जाने की तकनीक अपनाने की सलाह दी है।
संवाद सहयोगी, बटाला : कृषि विभाग ने किसानों से पराली न जलाने की अपील की है और उन्हें खेतों में पराली ले जाने की तकनीक अपनाने की सलाह दी है। कृषि अधिकारी फतेहगढ़ चूड़ियां बलजिदर सिंह ने कहा कि धान की पराली गेहूं या अन्य फसलों को जलाने के बजाय पर्यावरण को स्वच्छ रखने और मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए खेत में बुआई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में यह देखा गया है कि जब धान की कटाई कंबाइन हार्वेस्टर से की जाती है, तो धान के डंठल पर भारी मात्रा में पराली इकट्ठा हो जाता है और इसको हैरो, रोटावेटर से संभालना मुश्किल होता है, लेकिन अब धान सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) कंबाइन की मदद से फसल की कटाई करके इस समस्या को काफी हद तक हल कर लिया गया है, क्योंकि एसएमएस कंबाइन हार्वेस्टर पराली को छोटे टुकड़ों में काट देगा और इसे खेत में समान रूप से फैला देगा। यदि कटाई के बाद गेहूं बोया जाना है, तो धान के डंठल को पीएयू कटर सह श्रेडर के साथ काटा जाना चाहिए, रिवर्स सॉल्यूशन या रोटावेटर के साथ मिलाया जाना चाहिए और पानी डाला जाएगा, जो कुछ दिनों के बाद फोकट को पिघला देगा और खेत तैयार करेगा। एक ड्रिल के साथ गेहूं बोया जा सकता है।
कृषि विशेषज्ञ बलजिदर सिंह ने कहा कि अगर गेहूं को हैपीसीडर से बोना है तो खेत को बिना कटे सह चारे के साथ पहली जुताई करके बोया जा सकता है। हैप्पी सीडर एक मशीन है जो पराली को काटती है और इसे खेत में बिखेर देती है और साथ ही सीधे गेहूं की बुवाई भी करती है। हैप्पी सीडर के साथ बोया गया गेहूं न केवल खेती की लागत को कम करता है बल्कि पैदावार भी बढ़ाता है।