पानी की बचत के लिए कर रहे मक्की की खेती
पंजाब में प्रमुख तौर पर गेहूं धान व गन्ने की फसल की कृषि की जाती है। जिले में अब किसान कृषि विविधता को भी पहल देने लगे है। इसकी मिसाल गांव भट्टियां के किसान सतिदरजीत सिंह से मिलती है। सतिदरजीत ने एक साल में तीन बार मक्की की फसल की काश्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
संवाद सहयोगी, काहनूवान : पंजाब में प्रमुख तौर पर गेहूं, धान व गन्ने की फसल की कृषि की जाती है। जिले में अब किसान कृषि विविधता को भी पहल देने लगे है। इसकी मिसाल गांव भट्टियां के किसान सतिदरजीत सिंह से मिलती है। सतिदरजीत ने एक साल में तीन बार मक्की की फसल की काश्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
उन्होंने बताया कि उसके पास दस एकड़ के करीब कृषि वाली जमीन है। इसमें वह 75 फीसदी मक्की की फसल काश्त कर रहा है। उसकी तैयार हुई मक्की की फसल को खासला साइलेज भिट्टेवड्ड द्वारा ही खरीदा जाता है। इसके चलते उसे खेती विभिन्नता में कृषि द्वारा अपने लक्ष्य अनुसार लाभ मिल रहा है। उसे मक्की के एक एकड़ में 25 से 30 हजार रुपये तक की बचत होती है। किसान का कहना है कि धरती निचले पानी के संकट को देखते हुए कृषि विविधता को अपनाना किसान की पहल होनी चाहिए। धान की फसल के लिए अधिक पानी की खपत होती है। मक्की की फसल पर पानी की खपत कम होती है।