धड़ल्ले से चल रहा अवैध शराब का कारोबार,
अवैध शराब के कारण 11 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।
सुनील थानेवालिया, गुरदासपुर
अवैध शराब के कारण 11 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इसका मुख्य कारण यह है कि पुलिस के तमाम प्रयासों के बावजूद अवैध शराब का धंधा जोरों से चल रहा है। जिला गुरदासपुर की बात करें तो अवैध शराब को लेकर सबसे बदनाम गांवों में थाना काहनूवान के गांव मोचपुर का नाम शामिल है। इसके अलावा भी कुछ गांवों में अवैध शराब का कारोबार चल रहा है। हालांकि पिछले कुछ दिनों से पुलिस द्वारा शराब कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई तेज की गई है, लेकिन इसके बावजूद अवैध शराब का धंधा जोरों से चल रहा है।
पुलिस ने गांव मोचपुर में मई महीने में लगातार अभियान चलाया गया। लगातार चार दिन तक गांवों में छापेमारी की गई। 28 मई को पुलिस ने मोचपुर में दरिया ब्यास के किनारे रेड करके अवैध शराब की 13 भट्ठियां, 65 शराब वाले मिट्टी में बनाए हुए बंकर व 12 लाहन वाले ड्रम बरामद किए गए थे। हालांकि इस दौरान किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। इसके अगले ही दिन फिर से पुलिस द्वारा गांव में दबिश दी गई। इस दौरान 20 गाडि़यों में पुलिस व एक्साइज विभाग के कर्मचारी मौजूद थे। दूसरे दिन भी पुलिस को भारी मात्रा में लाहन व ड्रम वहां से मिले, लेकिन तस्कर फरार हो गए। इसके बाद 30 मई को जब पुलिस ने तीसरे दिन कार्रवाई की तो गांव के सरपंच की प्रेरणा से 50 नशा तस्करों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इस दौरान शराब तस्करों ने 15 ड्रम, 15 भट्ठियां, 40 तरपालें व 20 कैन पुलिस को सौंपते हुए आगे से हमेशा के लिए नशा कारोबार बंद करने का भी विश्वास दिलाया गया। खुद अपने आपको को आत्मसमर्पण करने के चलते तस्करों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस कार्रवाई के बाद पुलिस यह मान कर चल रही थी कि गांव के लोगों ने अब अवैध शराब का धंधा बंद कर दिया है। लेकिन 31 जुलाई को एक बार फिर से पुलिस ने गांव से 288 बोतल अवैध शराब व आठ कैन लाहन के बरामद किए गए। ब्यास दरिया के नजदीकी गांवों में है अधिक अवैध शराब का धंधा
जिले में अवैध शराब के कारोबार का अधिकतर धंधा दरिया ब्यास के किनारे चलता है। इसका मुख्य कारण यह है कि यहां से होशियारपुर व हिमाचल काफी नजदीक पड़ते है। इसके चलते शराब तस्कर यहां से बड़ी आसानी से शराब होशियारपुर व हिमाचल में सप्लाई करते हैं। गांव मोचपुर के अलावा जिले में गांव अवांखा, डीडा, सहारी, गांधिया पनियाड़ मुख्य रूप से अवैध शराब को लेकर जाने जाते है। जिले में कुछ नशा कारोबारियों ने बड़े स्तर पर चंडीगढ़ व अन्य राज्यों से सस्ती शराब ट्रकों में लाकर जिले में सप्लाई की जाती है। दिसंबर 2018 में जिला पुलिस द्वारा गुरदासपुर के गांव गोहत पोखर से गोदाम में उतारते हुए एक ट्रक अवैध शराब पकड़ी गई थी। इस कारण जहरीली होती है शराब
शराब निकालने के लिए कई तरह के जहरीले पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है। आम तौर पर शराब बनाने के लिए गुड़, गले सड़े फलों का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन शराब तस्करों द्वारा गुड़ के साथ यूरिया खाद, फल पकाने वाली दवाई, बैकिग की टिक्की आदि का इस्तेमाल किया जाता है। आम तौर पर गुड़ सही तरीके से शराब निकालने में दस से 15 दिन का समय लगता है। जबकि नशा कारोबारियों द्वारा उक्त तरीके अपनाकर तीन से चार दिन में तैयार कर ली जाती है, जोकि काफी जहरीली होती है। इससे भी खतरनाक तरीका यह है कि शराब तस्करों द्वारा सीधे अल्कोहल में पानी डालकर उसे शराब के रूप में बेचा जा रहा है। अवैध शराब का धंधा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा : एसएसपी
एसएसपी डॉ. रजिदर सिंह सोहल ने बताया कि गत दिनों अवैध शराब का कारोबार करने वालों के खिलाफ पुलिस की ओर से क्लीन स्वीप मुहिम शुरू की गई है। कच्ची शराब स्प्रेट व गैर कानूनी तरीके से किए जा रहे अवैध शराब के धंधे को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। जिला पुलिस द्वारा दरिया के किनारों पर बसे गांवों में सर्च चलाकर नशे की कड़ी तोड़ने के लिए अभियान चला रहा है।