120 को मारा डेंगू ने डंक,तैयारियां महज खानापूर्ति
सुनील थानेवालिया, गुरदासपुर : प्रदेश में अपने पैर पसार चुके डेंगू ने जिला गुरदासपुर को भी
सुनील थानेवालिया, गुरदासपुर : प्रदेश में अपने पैर पसार चुके डेंगू ने जिला गुरदासपुर को भी बड़े स्तर पर प्रभावित किया है। सीजन के दौरान अब तक जिले में डेंगू के 120 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। हैरानी की बात तो यह है कि इसमें सबसे अधिक संख्या 44 गुरदासपुर शहर के लोगों की है। सेहत विभाग डेंगू पर काबू पाने में असफल साबित हो रहा है। इसी कारण जिला हेड क्वार्टर पर इतनी बड़ी संख्या में मरीज सामने आ रहे हैं।
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. प्रभजोत कौर कलसी ने बताया कि अब तक जिले में डेंगू प्रभावित 120 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 44 मरीज केवल गुरदासपुर शहर से ही संबंधित है। मौजूदा समय सिविल अस्पताल गुरदासपुर में 4 मरीजों का इलाज चल रहा है। जबकि अन्य मरीजों का ईलाज गुरदासपुर के प्राइवेट अस्पतालों व अन्य बड़े शहरों के अस्पतालों में ईलाज करवा रहे है।
सिविल अस्पताल गुरदासपुर में इस समय भर्ती चार लोगों में गांव रत्तोवाल निवासी कुल¨वदर ¨सह पुत्र हरभजन ¨सह, गुरदासपुर निवासी किरणजीत पत्नी जसबीर ¨सह, गुरदासपुर निवासी जनत पुत्र गुर¨वदर, गांव कौंटा निवासी रत्न पुत्र प्रदीप ¨सह आदि शामिल है। उक्त सभी मरीजों को डेंगू की पुष्टि हो चुकी है।
फोल्ड करके मरीजों के पास रखी गई मच्छरदानियां
सिविल अस्पताल में डेंगू मरीजों के लिए बनाई गई वार्ड में मरीजों को मच्छर से बचाने के लिए मच्छरदानियां लगाई गई है। उन्हें भी मरीजों पर हर समय लगाने की बजाए फोल्ड करके रखा गया है।
ब्लड सेपरेटर मशीन चालक नहीं
डेंगू होने पर इंसान के शरीर से खून में प्लेटलेट्स कम हो जाते है, जोकि सेपरेटर मशीन के जरिए मरीज को चढ़ाए जाते है। गुरदासपुर में उक्त मशीन तो उपलब्ध है, लेकिन उसे चलाने के लिए विभाग के पास विशेषज्ञ नहीं है। यहीं कारण है कि सिविल अस्पताल गुरदासपुर में डेंगू का मरीज आने पर मात्र शुरुआती हालातों में ही ईलाज किया जाता है। जैसे ही डॉक्टर को मरीज में प्लेटलेट्स की कमी नजर आती है तो उसे तुरंत अमृतसर या अन्य बड़े शहरों में रेफर कर दिया जाता है। भले ही अस्पताल प्रशासन द्वारा डेंगू से निपटने के पूरे प्रबंध होने के दावे किए जाते हो, लेकिन मशीन न चल पाना यह साबित करता है कि विभाग के पास डेंगू से निपटने का पर्याप्त प्रंबंध नहीं है।
विभागीय प्रबंध महज खानापूर्ति
सेहत विभाग की ओर से सीजन शुरू होने से पहले ही डेंगू से निपटने के लिए सभी प्रबंध मुकम्मल होने के दावे किए जा रहे है। लेकिन इसके बावजूद जिले में और सबसे अधिक जिला हेड क्वार्टर के शहर में ही मरीज सामने आने से पता चलता है कि विभागीय प्रंबंध महज खानापूर्ति तक ही सीमित है। लोगों में जागरुकता की कमी के चलते अधिकतर लोग डेंगू के शुरुआती दौर में सही इलाज नहीं करवाते । जिसके चलते बीमारी बढ़ जाती है।
डेंगू के लक्षण:-
-सिर दर्द
-तेज बुखार
-जोड़ों में दर्द
-उल्टी या दस्त
-पूरे शरीर में दर्द
-आंखों में दर्द
-शरीर के कुछ हिस्सों पर लाल लाल चकते निकल जाना
-कई बार नाक से खून बहने लगते है
-सामान्य तौर पर डेंगू बुखार के लक्ष्ण मच्छर काटने के सात आठ दिन बाद दिखाई देते है।
डेंगू बुखार का मुख्य कारण:-
-डेंगू होने का सबसे बड़ा कारण मच्छर है। यह मच्छर साफ पानी में फैलता है। घरों में अक्सर पानी की टंकियां ओवर लो होने, कूलरों में पानी जमा रहने, गमलों में पानी रहने से यह मच्छर से तेजी से फैलता है और बाद में लोगों को काट कर डेंगू फैलाता है।
डेंगू के कैसे करे बचाव
-घर के आसपास पानी जमा न होने दें
-मच्छर से बचने के लिए दवाई का छिड़काव करे
-घर के कूलरों व गमलों तथा अन्य टूटे सामान में पानी जमा न होने दे
-बच्चों से मच्छर से बचाकर रखे और पूरे शरीर ढक कर रखने वाले कपड़े रखे
-अगर घर के आसपास पानी जमा हो तो उसमें मच्छर मारने की दवाई या काला तेल डाल दें
-डेंगू से संबंधित कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डाक्टर की सलाह लें
10 हजार से कम पर चढ़ाए जाते हैं प्लेटलेट्स
मामले सबंधी सिविल सर्जन डा. राम लाल से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि मरीज में प्लेटलेट्स 10 हजार से कम होने पर मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाए जाते है। मरीज को प्लेटलैट्स चढ़ाने के लिए सिविल अस्पताल में मशीन तो उपलब्ध है, लेकिन विशेषज्ञ न होने के चलते ऐसी सूरत में मरीज को मजबूरन बाहरी जिलों में रेफर करना पड़ता है।