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विधवा महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा चिन्मय मिशन

चिन्यम मिशन सेवा और साधना के मिशन को लेकर 14 साल से विधवा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार काम कर रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Jan 2022 07:40 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jan 2022 07:40 PM (IST)
विधवा महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा चिन्मय मिशन
विधवा महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा चिन्मय मिशन

अशोक कुमार गुरदासपुर

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चिन्यम मिशन सेवा और साधना के मिशन को लेकर 14 साल से विधवा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार काम कर रहा है। मिशन की ओर से महिलाओं को स्व रोजगार खोलने के लिए भी मदद की जाती है। चिन्मय मिशन अब तक बहुत सी महिलाओं को आत्मनिर्भर बना चुका है। मिशन के प्रधान हीरा अरोड़ा ने बताया कि संस्था का गठन दो फरवरी 2008 को 20 सदस्यों के साथ किया गया था। जबकि आज इसके साथ 180 लोग जुड़ चुके हैं, जो इस काम में लगातार सहयोग दे रहे हैं।

मिशन की ओर से समाजसेवी कामों के अलावा लोगों को अपनी संस्कृति के साथ जोड़ने के लिए धार्मिक समागम भी कराए जाते हैं। मिशन का मुख्य उद्देश्य विधवा महिलाओं को स्वावलंबी बनाना है ताकि वे समाज में सिर उठाकर जीने के काबिल बन सकें। इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। संस्था ट्रेनिग देकर रोजगार भी उपलब्ध करा रही

मिशन के प्रधान हीरा अरोड़ा ने बताया कि चिन्मय मिशन की ओर से निराश्रित महिलाओं की पहचान कर उनकी काउंसलिग की जाती है। इसके बाद रुचि के हिसाब से उन्हें विभिन्न कामों की ट्रेनिग दिलाई जाती है। मसलन अगर किसी महिला की रुचि सिलाई-कढ़ाई में है तो उसे इसकी फ्री ट्रेनिग दिलाकर मुफ्त सिलाई मशीन उपलब्ध कराई जाती है। इसके अलावा उन्हें आचार, मसाले आदि बनाने की ट्रेनिग दिलाकर घर से ही प्रोडक्ट तैयार कराए जाते हैं। संस्था की ओर से इन प्रोडक्ट्स की डिस्ट्रीब्यूशन में भी सहायता की जाती है। अरोड़ा बताते हैं कि संस्था की ओर से करीब 70 फीसद निराश्रित महिलाओं को काम दिलाया गया। मिशन के प्रधान हीरा अरोड़ा ने बताया कि 2008 में संस्था की ओर से 21 महिलाओं को प्रति माह 700 रुपये का राशन बांटने से शुरू किया गया था। वर्तमान में इन महिलाओं की संख्या 160 हो चुकी है, जिन्हें प्रति माह एक हजार रुपये के हिसाब से राशन बांटा जा रहा है। चिन्मय मिशन इंटरनेशनल संस्था है, इसकी कई देशों में शाखाएं मौजूद हैं और समाजसेवी कामों से जुड़ी हुई हैं। संस्था ने गुरदासपुर में मई माह में 14 साल पूरे कर लिए हैं। इनसेट

जरूरतमंदों को आत्मनिर्भर बनाना बहुत बड़ी सेवा

आबादी के मामले में विश्व के दूसरे नंबर के देश भारत में गरीबों का रोजगार के साधन न होने के कारण बुरा हाल है। देश के अमीर लोग व समाजसेवी संस्थाएं चाहें तो गरीब लोगों को रोजगार के साधन मुहैया करवाकर उनका उत्थान कर सकती हैं। बेरोजगार लोगों को हुनरमंद बनाना चाहिए। केवल किताबी ज्ञान से इस समय में रोजगार नहीं मिल सकता है।

--सविंदर सिंह गिल, चेयरमैन सुखजिंदर ग्रुप आफ कालेज।


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