पराली समस्या को हल करने के लिए पीएयू ने बनाई कई मशीनें
कृषि और किसान कल्याण विभाग ने किसानों पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए पराली में आग नहीं लगाने की अपील की है।
संवाद सहयोगी, बटाला : कृषि और किसान कल्याण विभाग ने किसानों पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए पराली में आग नहीं लगाने की अपील की है। ब्लाक फतेहगढ़ चूड़ियां के कृषि अधिकारी बलजिदर सिंह ने कहा कि पराली जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है।
उन्होंने कहा कि पराली जलाने से वातावरण में हानिकारक गैसें निकलती हैं। इसका मानवता पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। पराली जलाने की समस्या को हल करने के लिए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) लुधियाना ने विभिन्न मशीनों जैसे बेलर, हैप्पी सीडर, पराली काटने और बिछाने के लिए चौपर, रोटरी टिलर (रोटावेटर), जीरो ड्रिल, मल्चर आदि की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि चौपर चलाने के बाद खेत में एक पानी लगाओ और इसे रोटावेटर के साथ मिट्टी में मिलाओ। इस तरह से मिट्टी के संपर्क में आने से पराली पूरी तरह से और जल्दी गल जाता है। धान की फसल को सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) कंबाइन मशीनों की मदद से काटा जाना चाहिए, जो धान की कटाई करते समय पराली को समान रूप से बिखरते हैं। गेहूं तब हैप्पी सीडर के साथ बोया जा सकता है और ड्रिल तक खुली पंक्ति शून्य हो सकता है।