अस्थमा व फेफड़ों के रोगी कोरोना के प्रति ज्यादा सचेत रहें
कोविड-19 से सबसे ज्यादा खतरा अस्थमा के रोगियों को हो सकता है इसलिए वे खास एहतियात रखें।
संवाद सहयोगी, दीनानगर : कोविड-19 से सबसे ज्यादा खतरा अस्थमा के रोगियों को हो सकता है, इसलिए वे खास एहतियात रखें। दैनिक जागरण के साथ चर्चा करते हुए डा. अशोक शर्मा गली स्थित डा. हरिदेव क्लीनिक के डाक्टर हरिदेव अग्निहोत्री ने कहा कि बढ़ते प्रदूषण और बिगड़ी लाइफ स्टाइल ने दुनिया भर में अस्थमा के मरीजों की संख्या काफी बढ़ा दी है। जब तक लोग इस रोग को समझ पाते हैं, तब तक विकराल रूप धारण कर चुका होता है। इसी बात के मद्देनजर विश्व अस्थमा दिवस मनाने की शुरुआत हुई, ताकि लोगों का इस रोग के प्रति ध्यान आकर्षित किया जा सके और सही समय पर रोकथाम की जा सके।
उन्होंने कहा कि बच्चों में एलर्जी और अस्थमा के लक्षण उस समय प्रकट होते हैं, जब मौसम में कोई बदलाव होता है। डा. हरिदेव अग्निहोत्री ने बताया कि बदलती जीवनशैली युवाओं के लिए खतरा बन गई है। शहरों में खत्म होते खेल मैदान से बढ़ा इंडोर गेम्स का चलन नौजवानों को अस्थमा का मरीज बना रहा है। हालात इतने खतरनाक हैं कि अस्थमा के कुल मरीजों में अब युवाओं और बच्चों की संख्या बड़ों से दोगुनी हो गई है। जब तक युवाओं के लिए संतुलित जीवनशैली का चुनाव नहीं करेंगे, यह समस्या बढ़ती ही जाएगी। इतना ही नहीं, घर की चारदीवारी में बंद रहने वाले युवा जब कालेज जाने के लिए बाहर निकलते हैं तो वातावरण के धूल व धुएं के कण से उन्हें एलर्जी होने की संभावना बढ़ जाती है। अस्थमा के मुख्य कारण
हवा में मौजूद परागकण, स्मोकिग, लाइफ स्टाइल में परिवर्तन, वातावरण के प्रति प्रतिकूलता, अनुवांशिक व प्रदूषण वायरल इंफेक्शन से ही अस्थमा की शुरुआत होती है। युवा यदि बार-बार सर्दी, बुखार से परेशान हों तो यह एलर्जी का संकेत है। सही समय पर इलाज करवा कर और संतुलित जीवनशैली से बच्चों को एलर्जी से बचाया जा सकता है। समय पर इलाज नहीं मिला तो धीरे-धीरे अस्थमा के मरीज बन सकते हैं। डा. हरिदेव अग्निहोत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के समय ऐसे मरीजों को विशेष ध्यान रखना चाहिए।