आशा वर्करों ने कामकाज ठप रख सरकार की विरोधी नीतियों को कोसा
पंजाब सरकार की विरोधी नीतियों के खिलाफ आशा वर्करों व फेसिलिटेटर्ज ने नौ जुलाई से कोविड-19 के हर तरह के काम व अन्य बनते कार्यो का बायकाट कर सब सेंटरों पर रोष प्रदर्शन करके तीन दिवसीय हड़ताल का आगाज किया।
जागरण टीम, गुरदासपुर/कलानौर : पंजाब सरकार की विरोधी नीतियों के खिलाफ आशा वर्करों व फेसिलिटेटर्ज ने नौ जुलाई से कोविड-19 के हर तरह के काम व अन्य बनते कार्यो का बायकाट कर सब सेंटरों पर रोष प्रदर्शन करके तीन दिवसीय हड़ताल का आगाज किया। वीरवार को शहर की आशा वर्करों ने हड़ताल करने बाद पुराने सिविल अस्पताल में सुदेश कुमार के नेतृत्व में एकत्र होकर पंजाब सरकार की विरोधी नीतियों का पर्दाफाश किया।
इस दौरान आशा वर्कर बबीता, कमलेश कुमारी, उर्मिला देवी, निर्मला रानी आदि ने बताया कि कोविड-19 की महामारी के दौरान कठिन हालत में काम के बदले पहली जनवरी से 30 जून तक आशा वर्करों को 2500 रुपये प्रति महीना और फेसिलिटेटज को 1500 रुपये प्रति मासिक मानभत्ता दिया जाता था, जोकि अब बंद कर दिया गया है। कोरोना महामारी के संकट में कोरोना पीड़ितों की संख्या बढ़ने से आशा वर्करों पर काम का दबाव बढ़ गया है। घर-घर सर्वेक्षण कर रही आशा वर्करों को चार रुपये प्रति व्यक्ति मेहनताना देकर उनके साथ मजाक किया जा रहा है।
इस दौरान डेमोक्रेटिक मुलाजिम फेडरेशन के प्रदेश नेता अमरजीत शास्त्री ने हड़ताल का समर्थन करते हुए कहा कि एक तरफ सरकार कोरोना जंग जीतने के लिए बड़े बड़े कागजी ऐलान कर रही है। मगर दूसरी तरफ कोरोना के पहली कतार में असली योद्धा आशा वर्करों को बनता मान-सम्मान नहीं दिया जा रहा है। कोविड-19 की महामारी के समय भी सेहत विभाग के उच्चाधिकारियों ने आशा वर्करों की मांगों पर विचार करने के लिए कोई बैठक नहीं बुलाई। इस दौरान अंजू, परमजीत कौर, एकता देवी, सुदेश कुमारी मौजूद थीं। उधर, कलानौर के गांव भोपर सैदां में भी फेसिलिटेटर्ज ने यूनियन की महासचिव बलविदर कौर अलीशेर के नेतृत्व में पंजाब सरकार की आशा वर्कर विरोधी नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस मौके पर कुलजीत कौर, अमरजीत कौर, सुखजीत कौर, नरेश कुमारी, जसपाल कौर,सुदेश कुमारी, संतोश कुमारी आदि उपस्थित थे।
ये हैं मांगें
घर-घर सर्वेक्षण के पैसो में 12 रुपये प्रति व्यक्ति मेहनताना दिया जाए।
-जब तक मिशन फतेह पूरा नहीं हो जाता, तब तक कोरोना रहित भत्ता जारी रखा जाए।
-वर्करों से अतिरिक्त काम लेने बंद कर दिए जाए।
-मृतक आशा वर्करों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए। मोबाइल फोन भत्ता व कम से कम दिहाड़ी कानून लागू की जाए।