आवारा आतंक : सिविल अस्पताल में रोजाना कुत्तों के काटने के आ रहे 15 केस
कोरोना महामारी के साथ-साथ अब आवारा कुत्तों की दहशत भी बढ़ती जा रही है। आए दिन झुंड बनाकर घूमते अवारा कुत्ते किसी न किसी को अपना शिकार बना रहे हैं।
रवि कुमार, गुरदासपुर : कोरोना महामारी के साथ-साथ अब आवारा कुत्तों की दहशत भी बढ़ती जा रही है। आए दिन झुंड बनाकर घूमते अवारा कुत्ते किसी न किसी को अपना शिकार बना रहे हैं। इसका अंदाजा इसी बता से लगाया जा सकता है कि सिविल अस्पताल में रोजाना ही 15 के करीब कुत्तों द्वारा काटे केस सामने आ रहे हैं। अधिकतर कुत्ते छोटे बच्चों व बुजुर्गों को निशाना बना रहे हैं। कुत्तों की बढ़ती संख्या से लोग परेशान हैं। अब तो अभिभावक अपने बच्चों को घर से बाहर निकालने से भी डर रहे हैं। उधर नगर कौंसिल की ओर से इन अवारा कुत्तों की बढ़ती जा रही तादाद को रोकने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया जा रहा है।
शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सड़क, चौराहे, चिकन की दुकानों, होटलों के बाहर आवारा कुत्तों ने बसेरा बना लिया है। रात के आठ बजे तक शहर की सड़कों पर आवारा कुत्ते शांत रहते हैं लेकिन उसके बाद बाइक चालकों के पीछे भागते आम दिखाई देते हैं। दुकान पर गई आठ वर्षीय बच्ची को काटा
कुत्तों के काटने के मामले अकसर ही कहीं न कहीं देखने को मिलते रहते हैं। ऐसा ही एक मामला शहर के ओंकार नगर में भी देखने को मिला, जब एक आठ वर्षीय बच्ची को आवारा कुत्तों ने काट लिया। कुत्तों का शिकार हुई बच्ची भावना की मां प्रेरणा ने बताया कि उनके घर के बाहर ही एक करियाने की दुकान है। जहां पर उसकी बेटी शुक्रवार को खाने के लिए वस्तु लेने के लिए गई तो वहां पर झुंड बनाकर खड़े आवारा कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया। जिसके बाद उसने कुत्तों से बेटी को बचाया। लेकिन फिर भी कुत्तों ने बेटी को टांग पर काट लिया। जिसके बाद उसे सिविल अस्पताल गुरदासपुर मे एंटी रैबीज का टीका लगवाया। मांसाहारी कुत्ते ज्यादा खतरनाक
मांसाहारी कुत्ते ज्यादा खतरनाक होते हैं। कुत्ते को मांस खाने की आदत होती है। भूखे होने पर और मांस न मिलने पर यह कुत्ते अकसर आते-जाते लोगों पर भी हमला कर देते हैं। बुजुर्गो व बच्चों का बाहर निकलना हुआ बंद
आवारा कुत्तों ने इतनी दहशत बना रखी है कि बच्चों और बुजुर्गो ने शाम और सुबह के वक्त घर से निकलना बंद कर दिया है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह समस्या शहर में कितनी विकट होती जा रही है। जबकि आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने में भी नगर कौंसिल विफल साबित हो रहा है। लोगों का आरोप है कि शिकायत करने के बावजूद भी कार्रवाई नहीं हो रही है। कुत्तों के काटने पर इन बातों का रखें ध्यान
-कुत्ते के काटने पर जख्म को पहले पानी से अच्छी तरह धो लें।
-साबुन से जख्म को रगड़ कर साफ पानी में धोएं।
-जख्म पर पट्टी न करें, उसे खुला रखें।
-पट्टी करने पर रैबीज के विषाणु अंदर ही अंदर फैलने का खतरा बन जाता है।
-चिकित्सकों के अनुसार दस दिन के भीतर एंटी रैबीज की पहली वैक्सीन लग जानी चाहिए। ---------------------------
अक्तूबर माह में कुत्तों को पकड़ने का टेंडर दिया हुआ था। लेकिन जिस ठेकेदार को टेंडर दिया था वो काम छोड़ गया। अब फिर से नया टेंडर जारी किया जाएगा।
-राकेश, सेनेटरी इंस्पेक्टर।
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रोजाना ही 15 के करीब कुत्तों के काटने के केस अस्पताल में आ रहे हैं। अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन की कोई कमी नहीं है।
-डा. चेतना, एसएमओ, सिविल अस्पताल, गुरदासपुर।