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इंद्रजीत रंधावा के बाद अकाली नेता खुशहालपुर ने भी काहलों को टिकट देने पर जताया विरोध

डेरा बाबा नानक विधानसभा क्षेत्र से शिरोमणि अकाली दल बादल की टीकट का किया विरोध।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 10:00 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 10:00 PM (IST)
इंद्रजीत रंधावा के बाद अकाली नेता खुशहालपुर ने भी काहलों को टिकट देने पर जताया विरोध
इंद्रजीत रंधावा के बाद अकाली नेता खुशहालपुर ने भी काहलों को टिकट देने पर जताया विरोध

संवाद सहयोगी, डेरा बाबा नानक :

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डेरा बाबा नानक विधानसभा क्षेत्र से शिरोमणि अकाली दल बादल ने हाल ही में विधानसभा के पूर्व स्पीकर व पूर्व मंत्री निर्मल सिंह काहलों के बेटे रविकरण सिंह काहलों को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, जो पहले फतेहगढ़ चूड़ियां विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। डेरा बाबा नानक से अकाली दल की तरफ से चुनाव लड़ने के इच्छुक अकाली नेता इंद्रजीत सिंह रंधावा के बाद अकाली नेता गुरप्रताप सिंह खुशहालपुर ने भी काहलों के खिलाफ विरोध का बिगुल बजा दिया है।

उल्लेखनीय है कि डेरा बाबा नानक विधानसभा क्षेत्र जो पंथक निर्वाचन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है और पंजाब के पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह, जो इस निर्वाचन क्षेत्र का नेतृत्व कर रहे थे, पिछले कुछ समय से विवादों की स्थिति में हैं और उनकी राजनीतिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप हो गई हैं। उनकी जगह उनके बेटे शिरोमणि अकाली दल बादल के युवा नेता सुखजिदर सिंह सोनू लंगाह ने कमान संभाल रखी थी । हालांकि शिरोमणि अकाली दल (शिअद) बादल ने तीन अकाली नेताओं की अनदेखी करते हुए डेरा बाबा नानक निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व कैबिनेट मंत्री निर्मल सिंह काहलों के बेटे रविकरण सिंह काहलों को मैदान में उतारा, जो फतेहगढ़ चूड़ियां विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते थे। हालांकि रविकरण काहलों ने टिकट मिलने के बाद डेरा बाबा नानक विधानसभा क्षेत्र में अपनी गतिविधियां तेज नहीं की हैं, लेकिन इसके बावजूद डेरा बाबा नानक निर्वाचन क्षेत्र से इंद्रजीत सिंह रंधावा और गुरप्रताप सिंह खुशहालपुर ने रविकरण सिंह काहलों को टिकट देने का विरोध शुरू कर दिया है।

गुरप्रताप सिंह खुशहालपुर ने भी शिरोमणि अकाली दल बादल के अध्यक्ष सुखबीर बादल पर नाराजगी व्यक्त की और कि डेरा बाबा नानक निर्वाचन क्षेत्र से काहलों को उम्मीदवार घोषित करने में उनकी क्या मजबूरी थी। खुशहालपुर ने कहा कि उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के हर गांव में अकाली दल को मजबूत करने का काम किया है लेकिन उनकी अनदेखी की गई है और उनकी राजनीतिक हत्या कर दी गई है। वह जल्द ही अपने कार्यकर्ताओं को इकट्ठा करेंगे और आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।


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