धान की 50 फीसद फसल बर्बाद, हजारों एकड़ जमीन पानी में डूबी
पिछले 36 घंटे जिला गुरदासपुर में हुई बारिश से किसानों की 50 फीसदी धान की फसल बर्बाद हो गई। उन्होंने सरकार से 25 हजार रुपए प्रति एकड़ के मुआवजे की मांग की। मायूस किसानों का कहना था
विनय कोछड़, बटाला
36 घंटे से हो रही बारिश से किसानों की 50 फीसद धान की फसल बर्बाद हो गई। किसानों ने सरकार से 25 हजार रुपए प्रति एकड़ के मुआवजे की मांग की। मायूस किसानों का कहना था कि इस सीजन में इतनी तेज बारिश पिछले तीस साल बाद हुई। उन्होंने कहा कि तब भी किसानों का खासानुकसान हुआ था, लेकिन राज्य सरकार व प्रशासन ने उस दौरान काफी मदद की।
उधर, कैप्टन सरकार ने राहत व बचाव कार्यों के लिए प्रशासन को अलर्ट जारी कर दिया है। लेकिन किसानों की रोजी रोटी उसकी फसल से चलती है। यह सीजन धान का होता है। लगातार दो दिन हुई बारिश ने किसानों की उम्मीद पर पूरी तरह से पानी फेर दिया। अब वे अपने खेतों में बैठकर अपनी किस्मत को कोसते हुए वाहेगुरु के समक्ष दुआ कर रहे हैं कि अब फिर बारिश न हो, वरना उनकी बची फसल भी बारिश से तबाह हो जाएगी। दैनिक जागरण टीम की तरफ से सोमवार को आसपास के गांवों की स्थिति के बारे जानकारी लेने पहुंचे तो वहां के किसानों के चेहरों पर मायूसी देखने को मिली। उन्होंने बताया कि वे कड़ी मेहनत से फसल को पकाने के लिए दिन-रात एक कर देते है, लेकिन दो दिन की बारिश ने उनकी धान की 50 फीसद फसल को तबाह कर दिया। इस आफत की स्थिति में राज्य सरकार उन्हें उचित मुआवजा दे।
फसल अच्छी होगी तो कर्ज उतरेंगा
किसानों ने अपनी दुख भरी कहानी साझा करते कहा कि इस बार की बारिश ने उनके उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उम्मीद थी कि इस बार फसल अच्छी हुई तो वे अपना कर्ज चुका देंगे, लेकिन बेमौसम बारिश से उनकी फसल तबाह हो चुकी है। साहूकार व बैंकों की किश्त न देने पर उन्हें मोटा ब्याज देना पड़ेगा। इस बार वे कर्ज की किश्त देने में असमर्थ दिखे।
पहले से किसान कर रहे आत्महत्या
पंजाब के किसानों की पहले से ही आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है।
उन्होंने सरकारी बैंक, सरकारी सभाएं, साहूकारों से कर्ज ले रखा है। तंग आकर पिछले दौर में पंजाब के कई किसान आत्महत्या कर चुके हैं। ऐसी स्थिति में पंजाब सरकार को निपटने के लिए पहले से यत्न करने पड़ेगे।
फसल की कम पैदावार से बढ़ेगी महंगाई
जानकारों का मानना है कि इस बार बारिश के कारण धान की फसल 50
प्रतिशत फसल तबाह हो चुकी है। फसल की कम पैदावार से महंगाई पर भी असर पड़ सकता है। आने वाले दिनों में लोगों को महंगाई की मार झेलनी पड़ सकती है।
सरकारी मुआवजा उचित नहीं
गांव काहनूवान, शेरपुर, मल्लकपुर, डेयरीवाल के किसानों में रघुबीर
¨सह, पाल ¨सह, दिलबाग ¨सह ने बताया कि सरकार किसानों को मुआवजा बहुत कम दे रही है। उन्होंने बताया कि फसल तबाह होने पर सरकार द्वारा 8-12 हजार के करीब प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाता है, जो नाकाफी है। उन्होंने सरकार से मांग करते कहा की कि उन्हें धान की फसल तबाह होने पर 25 हजार प्रति एकड़ मुआवजा जारी किया जाए।