डेंगू के पसारे पैर, नहीं की जा रही फागिंग
तहसील में डेंगू पैर पसार चुका है।
अजय रेखी, बटाला
तहसील में डेंगू पैर पसार चुका है। इस सीजन में अब तक करीब 22 लोग डेंगू का शिकार हो चुके हैं। पिछले साल डेंगू से कई लोगों की मौत हो गई थी। इसके बावजूद अब तक सेहत विभाग सक्रिय नहीं दिख रहा है। हालांकि सिविल अस्पताल के एसएमओ डा. संजीव भल्ला ने बताया कि अस्पताल में डेंगू वार्ड बनाया गया है। लोगों को डेंगू से बचाने के लिए सेहत विभाग हर संभव प्रयास कर रहा है।
जिला प्रशासन और सेहत विभाग की तरफ से लोगों को सिर्फ अपील ही की जाती है कि अपने घरों या आसपास पानी इकट्ठा न होने दें, लेकिन प्रशासन की तरफ से शहर और आसपास के इलाकों में अच्छी तरफ फागिंग तक नहीं करवाई जाती। डेंगू की रोकथाम के लिए अगस्त माह से अब तक सिर्फ 200 टेस्टिंग ही की गई है, जिससे 22 लोगों की रिपोर्ट डेंगू पाजिटिव आई है। पिछले साल हुई मौतों के कारण इस बार सेहत विभाग को डेंगू की टैस्टिंग कहीं ज्यादा करनी चाहिए थी, लेकिन नहीं हो रही।
डेंगू के कारण
डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं। इसलिए घरों के आसपास साफ पानी नहीं जमा होने दें। इसके अतिरिक्त इसके मच्छर दिन में ही काटते हैं।
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गंदगी के कारण हो रहे मच्छर : संजीव
खोसला करियाना स्टोर के मालिक संजीव खोसला ने बताया कि बटाला नगर निगम कूड़ा उठाने में पूरी तरफ फेल साबित हुआ है। कुछ क्षेत्र तो ऐसे भी हैं, जहा न तो कोई सफाई कर्मचारी आता है और न ही कोई कूड़ा उठाने वाला। गंदगी से अब मच्छर ही पैदा होगा, जो लोगों की जिंदगिया ही लेगा। प्रशासन द्वारा तो बड़े-बड़े दावे ही किए जाते हैं, लेकिन ग्राउंड लेवल पर कोई काम नहीं किया जाता। शहर में मात्र एक बार ही फागिंग हुई है। अब तो शहर में फागिंग भी नहीं हो रही और न ही जिन इलाकों में डेंगू के मरीज मिल हैं वहा मच्छर के लारवा की जाच ही की गई है।
फागिंग की जाती है : सुपरिटेंडेंट
शहर में फागिंग करने की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है। नगर निगम के सुपरिटेंडेंट निर्मल सिंह ने बताया कि निगम के पास तीन मैन्युअल और एक आटो मशीन हैं, जिसके लिए सालाना खर्च साढे़ तीन लाख रुपये आता है। सुपरिटेंडेंट ने दावा किया है कि पूरे शहर में फागिंग की जा रही है। लेकिन हकीकत यह है कि अगस्त माह से अब तक शहर के कुछ एरिया में सिर्फ एक बार ही फागिंग हुई है। इससे लोगों में प्रशासन के खिलाफ रोष है। 101
104 डिग्री तक हो सकता है बुखार : डा. भल्ला
एसएमओ डा. संजीव भल्ला ने बताया कि आमतौर पर डेंगू में बुखार होता है। किशोरों एंव बच्चों में इसकी आसानी से पहचान नहीं की जा सकती है। डेंगू में 104 फारेनहाइट डिग्री का बुखार होता है, जिसके साथ इनमें से कम से कम दो लक्षण होते हैं, जिनमें सिरदर्द, मासपेशियों में दर्द, हड्डियों और जोड़ों में दर्द, जी मिचलना, उल्टी लगना, आखों के पीछे दर्द, त्वचा पर लाल चकते होना तीन प्रकार के बुखार जैसे हल्का डेंगू बुखार, डेंगू रक्तस्त्रावी बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम शामिल हैं। यह तीनों बुखार किसी के लिए भी खतरनाक हो सकते हैं।