खजूरी गेट की 15 हजार आबादी कचरे के डंप से परेशान, प्रदर्शन
बटाला लंबे अर्सें से खूजरी गेट की रहने वाली पंद्रह हजार आबादी नगर-कौंसिल द्वारा लगाए कचरे के ढेर से खासा परेशान हैं।
विनय कोछड़, मानव लूथरा, बटाला : लंबे अर्सें से खूजरी गेट की रहने वाली पंद्रह हजार आबादी नगर-कौंसिल द्वारा लगाए कचरे के ढेर से खासा परेशान हैं। शुक्रवार को स्थानीय निवासियों ने इस समस्या को लेकर एकजुटता के साथ नगर-कौंसिल के खिलाफ प्रदर्शन किया। लोगों की शिकायत रही कि कचरे की दुर्गंध के कारण जहां पर एक महिला की कैंसर से मौत हो गई, जबकि पांच लोग सास तथा पेट की बीमारी से जूझ रहे है। उधर, नगर-कौंसिल का तर्क है कि उन्होंने कचरा उठाने के लिए एक निजी कंपनी को ठेका दे रखा है। साफतौर पर कहा कि इस समस्या के पीछे कंपनी जिम्मेदार है। पिछले दिनों उन्होंने कंपनी को जुर्माना किया। कंपनी को नोटिस निकालकर समझा दिया गया है कि खजूरी गेट से डंप को जल्द उठा लिया जाए। कचरे की समस्या को लेकर शुक्रवार को स्थानीय निवासियों का सब्र का बांध टूट गया। सुबह ग्यार बजे लोग इकट्ठा हुए। उन्होंने नगर-कौंसिल तथा कंपनी के खिलाफ नारेबाजी की। चेतावनी दी कि अगर उनकी समस्या का हल जल्द नही निकाला तो वे सभी इकठ्ठा होकर नगर-कौंसिल के समक्ष धरना देंगे। लोगों का कहना था कि इस समस्या को लेकर वे कई बार नगर-कौंसिल को लिखित शिकायत दे चुकें है, कितु आज तक समस्या का निवारण नही किया गया। शहर का 50 टन कचरा उनके घर के बाहर डंप में फेंक दिया जाता है। पूरा हफ्ता जहां से कचरे की लिफ्टिग नही होती। स्थिति ये बन चुकी है कि उनके जहां अब रिश्तेदारों ने आना बंद कर दिया है। ये मोहल्ले प्रभावित
खजूरी गेट के अधीन कादी हट्टी, डोला मोहल्ला, पुरिया मोहल्ला में लगी कचरें की ढेरी से लोग काफी प्रभावित है। यहां के लोग खासा परेशान है। बता दें कि इन मोहल्लों में रहने वाले अधिकतर लोग शिक्षित तथा सरकारी बाबू है। समस्या पिछले लंबे से बदस्तूर जारी है।
इन कंपनी को ठहराया जिम्मेदार
लोगों ने नगर-कौंसिल के अलावा दो कंपनी को इस समस्या के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने बताया कि पहले गुरदासपुर की अनिल इलेक्ट्रोनिक्स को कचरा उठाने का अनुबंध मिला था। अब बटाला की निजी फार्म के पास कचरा उठाने का अनुबंध है। लोगों ने फार्म मालिक टीनू पर जहां से कचरे की लिफ्टिग को सही ढंग से नही उठाने के आरोप लगाए है। कचरे की दुर्गंध ने पत्नी को छीना
अपनी जीवन संगनी कांता रानी को खो चुकें सरवन कुमार ने बताया कि कचरे की दुर्गंध से उनकी पत्नी बिमार पड़ी। इलाज दौरान कैंसर हो गया। वे अपनी पत्नी की मौत के पीछे नगर-कौंसिल को जिम्मेंदार ठहराते है। उनका कहना था कि अगर कचरा जहां से सही समय पर उठा लिया जाता तो शायद वे अपनी पत्नी को कभी खोते नही। सास की बीमार हुई
40 वर्षीय सुमन ने बताया कि कचरे की दुर्गंध से उन्हें अब सास की बीमारी हो चुकी है। अमृतसर के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। अब तक उनके बिमारी पर दो लाख रुपए खर्च हो चुकें है। घर की आर्थिक हालत कमजोर है। पति फ्रूट की रेहड़ी लगाते है। अस्थमा मशीन हमेशा साथ रखते है
कनफेक्शनरी का धंधा करने वाले रमेश कुमार (42) ने बताया कि पांच साल पहले सबकुछ ठीक था। एक दिन दुकान में उन्हें सास की समस्या आ गई। डाक्टर ने चेक किया। टेस्ट रिपोर्ट में पता चला कि आस्थमा की शिकायत सामने आई। अब हमेशा अपने पास आस्थमा मशीन रखतें है। पता नही कब इसकी जरुरत पड़ जाएं। पेट की बिमारी से ग्रस्त
ढाई साल के नन्नू पेट की बीमारी से ग्रस्त है। डाक्टरों को दिखाया तो उन्होंने टेस्ट करवाने के लिए बोला। रिपोर्ट में पेट की इंफेकशन सामने आई। परिजनों का कहना है कि इस कचरे की डंप की दुर्गंध से उनका बच्चा आए दिन बीमार रहता है। दवाई के सहारे जी रही हूं जिदगी
60 वर्षीय उर्मिल कांता ने बताया कि जिदगी के आखिरी पल वे दवाई के सहारे जी रहे है। कचरे की समस्या ने उन्हें बीमार कर दिया है। सास की बिमारी के कारण उसे प्रतिदिन डाक्टर के पास चेकआफ करवाने जाना पड़ता है। अब तक बिमारी के कारण लाखों रुपए खर्च कर चुकें है। प्रधान की नसीहत, डिस्पोजल न फेंके
बटाला। इस संबंध में नगर-कौंसिल के प्रधान नरेश महाजन ने लोगों को नसीहत दे डाली कि वे कचरे में डिसपोजल न फेंके। इसी कारण कैंसर तथा सास जैसी बिमारीयां होती है। पूछने पर कचरे की समस्या कब दूर होगी, जवाब में कहा कि तीन दिन के भीतर समस्या का निवारण होंगा। उन्होंने माना कि कंपनी ने पीछे डेढ़ माह शहर से कचरे की लिफ्टिग में अनगेली दिखाई। इसके लिए नगर-कौंसिल ने नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।