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एक लाख 22 हजार 300 एकड़ में गेहूं की फसल की हुई बिजाई

पंजाब सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जा रहे सार्थक परिणाम दिखाई देने लगा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 11:44 PM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 11:44 PM (IST)
एक लाख 22 हजार 300 एकड़ में गेहूं की फसल की हुई बिजाई
एक लाख 22 हजार 300 एकड़ में गेहूं की फसल की हुई बिजाई

जागरण संवाददाता, फरीदकोट : पंजाब सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जा रहे सार्थक परिणाम दिखाई देने लगा है। किसान पराली न जलाए इस उद्देश्य के लिए किसानों को सब्सिडी और पराली प्रबंधन के लिए कृषि मशीनरी प्रदान जा रही है। आधुनिक कृषि मशीनरी और नवीनतम तकनीक के साथ पराली का प्रबंधन या जमीन दबाया जा सकता है। इसी के बीच गेहूं की फसल की बुआई या रोपाई भी की जा सकती है। हरविदर सिंह मुख्य कृषि अधिकारी ने कहा कि जिले के लगभग एक लाख 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खेती की जा रही है। इसमें किसानों द्वारा एक लाख 10 हजार हेक्टेयर भूमि पर फसलों खेती की जाती है। विभिन्न गांवों में कृषि शिविर लगाकर आधुनिक खेती प्रणाली की जानकारी दी जा रही है। किसानों की सुविधा के लिए जिले भर में 303 ग्राहक हायरिग केंद्र भी स्थापित किए। धान चॉपर, हैप्पी सीडर, जीरो टिल ड्रिल, सुपर सीडर, रोटावेटर आदि सहित 1447 मशीनें जिले के किसानों को प्रदान की गईं। निजी उपयोग के लिए 218 मशीनों के प्रबंधन के लिए किसानों को सब्सिडी प्रदान की गई थी। कृषि मशीनरी पर जिले के किसानों को लगभग 12 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान की गई। इसका उद्देश्य किसानों को पराली का प्रबंधन करके पर्यावरण के रखरखाव में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करना था। परियोजना निर्देशक आत्मा अमनदीप केशव व इंजीनियर हरचरण सिंह ने कहा कि फरीदकोट जिले में एक बेलर के माध्यम से 62 हजार एकड़ में किसानों द्वारा पराली की गांठ बनाई गई है। इसके अलावा धान चॉपर में 8000 एकड़, हैप्पी सीडर से 15 हजार एकड़, 20 हजार एकड़ में शून्य तक ड्रिल, 300 एकड़ में सुपर ड्रिल और 17 हजार एकड़ में रोटावेटर द्वारा गेंहू की बुआई की गई है। उन्होंने कहा कि नई तकनीकों के साथ गेहूं की बुआई पूरी तरह से सफल रही। इन तकनीकों का उपयोग करने वाले किसान पूरी तरह से खुश हैं। क्योंकि उनकी फसल अच्छी तरह से और किसी भी तरह से हो रही है। वह बीमार नहीं था, उन्होंने कहा कि विभाग के संयुक्त निदेशक, इंजीनियर मनमोहन कालिया ने भी उपरोक्त किसानों के खेतों में जाकर अच्छी फसल ली है। हैप्पी सीडर के साथ गेहूं बोने वाले किसान रमनदीप सिंह ने कहा कि वह 2011 से विभिन्न तकनीकों के साथ गेहूं की बुवाई कर रहे हैं। खेतों में पराली दबाने से जहां फसल का उत्पादन बढ़ रहा है, साथ ही उपज में कोई फर्क नहीं पड़ता है, यह पर्यावरण के रखरखाव में भी मदद करता है और अनुकूल कीड़ों के संरक्षण के अलावा, उर्वरक भी कम हो जाता है। उन्हें पंजाब सरकार के कृषि विभाग द्वारा वर्ष 2015 में राज्य स्तरीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे खेतों में पराली के बीच गेहूं की बुवाई करें, ताकि पराली का प्रबंधन किया जा सके, इससे पर्यावरण को स्वच्छ रखा जा सकेगा।

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