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स्कूल खुलते ही पेपर करवाने का यूनियन ने किया विरोध

कोरोना काल में लंबे समय तक स्कूल बंद रहे और स्कूल खुलते ही छात्रों की परीक्षा शुरू हो गई। गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स यूनियन ने छात्रों की रोजाना ली जा रही परीक्षा का विरोध किया है ।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 04:40 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 04:40 PM (IST)
स्कूल खुलते ही पेपर करवाने का यूनियन ने किया विरोध
स्कूल खुलते ही पेपर करवाने का यूनियन ने किया विरोध

अश्विनी गौड़, जीरा (फिरोजपुर) :

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कोरोना काल में लंबे समय तक स्कूल बंद रहे और स्कूल खुलते ही छात्रों की परीक्षा शुरू हो गई। गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स यूनियन ने छात्रों की रोजाना ली जा रही परीक्षा का विरोध किया है ।

यूनियन अध्यापकों ने कहा कि आनलाइन पढ़ाई से छात्रों को कक्षा में बैठकर पढ़ने जैसी शिक्षा नहीं मिली। सिलेबस में कटौती की जगह छात्रों को पढ़ने का अवसर देना चाहिए। यूनियन ने पंजाब सरकार तथा शिक्षा विभाग से मांग की है कि हर रोज पेपर लेने की बजाय अध्यापकों को पढ़ाई करवाने का समय दिया जाए उसके बाद ही पेपर लिए जाए जिसका परिणाम भी अच्छा निकलेगा ।

पढ़ाई के लिए वक्त दे सरकार

गवर्नमेंट स्कूल टीचर यूनियन पंजाब के प्रधान सुरिदर कुमार पुआरी ने कहा कि पंजाब सरकार को मांग पत्र भेज स्कूल खोलने की मांग की थी जोकि पंजाब सरकार ने मानी भी लेकिन स्कूल खुलने पर अध्यापकों को पढ़ाई कराने का समय देना चाहिए था हर रोज पेपर लेने लेना सही नहीं। आनलाइन व क्लास की पढ़ाई में अंतर

यूनियन के महासचिव बलकार सिंह वल्टोहा ने कहा कि बहुत समय के बाद स्कूल खुले हैं। अध्यापक जो कक्षा में पढ़ा सकते हैं वह आनलाइन नहीं पढ़ाया जा सकता। शिक्षा विभाग को चाहिए कि छात्रों को कक्षा में पढ़ने का अवसर देना चाहिए न कि हर साल की तरह पेपर लेने चाहिए। सिलेबस कटौती की जगह समय दे सरकार

यूनियन के वित्त सचिव नवीन कुमार सचदेवा ने कहा कि जो कुछ बच्चा क्लासरूम में सीख सकता है उसका कोई विकल्प नहीं। शिक्षा विभाग ने सिलेबस में 30 प्रतिशत कटौती की, अच्छा यही होता कि अध्यापकों तथा विद्यार्थियों को पढ़ाई करने का समय दिया जाता जिसके साथ विद्यार्थियों की पढ़ाई के नुक्सान की भरपाई भी हो सकती थी।

हर दिन पेपर न लिए जाएं

यूनियन के सीनियर उप प्रधान प्रेम चावला ने कहा कि शिक्षा की नीति में कहीं भी ऐसा नहीं आता कि बच्चों से हर रोज पेपर लिए जाएं बल्कि इसके साथ बच्चों की पढ़ाई में रुचि कम होती है पहले सिर्फ वर्ष में 3 बार पेपर होते थे जिसके परिणाम भी अच्छे निकलते थे।


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