टीबी का इलाज अब पूरी तरह से संभव : बलकार सिंह
हमारे देश में अनेको जाने हर वर्ष टीबी (तपेदिक) जैसी खतरनाक बीमारी का इलाज हो जाता है।
संवाद सूत्र जीरा (फिरोजपुर)
हमारे देश में अनेको जाने हर वर्ष टीबी (तपेदिक) जैसी खतरनाक बीमारी की भेंट चढ़ जाती हैं। जबकि इस बीमारी का सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है। उक्त बात पीएचसी कस्सोआना के सीनियर मेडिकल अफसर डा. बलकार सिंह ने बुधवार को विश्व टीबी दिवस को लेकर करवाए गए जागरूकता के दौरान व्यक्त किए।
इस मौके पर ब्लाक एजुकेटर विक्रमजीत सिंह ने बताया कि टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है, बल्कि इसका इलाज संभव है। टीबी दो तरह की होती है, फेफड़ों की टीबी तथा शरीर के दूसरे हिस्सों पर टीबी। टीबी के मुख्य लक्षण दो हफ्तों से ज्यादा खांसी, बुखार, भूख कम लगना, वजन का कम होना, थकावट तथा रात के समय पसीना आना है। ब्लाक एजुकेटर विक्रमजीत सिंह ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को उपरोक्त लक्षण पाए जाते हैं तो उसे नजदीक सेहत केंद्र से टीबी जांच करवाई जाए, ताकि पीड़ित व्यक्ति का सही समय पर इलाज किया जा सके। सरकारी सेहत केंद्रों में टीबी की दवाई मुफ्त दी जाती है तथा इलाज का खर्चा सरकार द्वारा किया जाता है।
उन्होंने बताया कि सेहत विभाग ने नवजन्मे शिशु को जन्म के समय ही बी, सी व जी का टीका लगाया जाता है, जोकि कि उसे पूरी उम्र टीबी रोग से बचाता है। टीबी फैलने के बारे में जानकारी देते हुए ब्लाक एजुकेटर विक्रमजीत सिंह ने बताया कि छूत की बीमारी होने के कारण यह एक व्यक्ति से दूसरे तक फैलती है। जब इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के सामने खांसता या छींकता है तो बीमारी के कीटाणु उस व्यक्ति के अन्दर चले जाते हैं तथा उस व्यक्ति को भी बीमारी का शिकार बना देते हैं । टीबी के प्रसार को रोकने के लिए टीबी के साथ पीड़ित व्यक्ति की बड़ी जिम्मेवारी बनती है कि वह खांसते छींकते समय मुंह पर रुमाल रखे तथा खुले में नाथू के टीबी की पुष्टि होने पर दवाई का कोर्स पूरा करे तथा डाक्टरी जांच के बाद पूरी तरह ठीक होने पर दवाई बंद करे ।इस मौके डाक्टर करणवीर सिंह, डा. जगदीप सिंह तथा सेहत वर्कर उपस्थित थे।