कैंटोनमेंट बोर्ड का नामित सदस्य बनने को खींचतान शुरू
इस साल फरवरी माह में कैंटोनमेंट बोर्ड के पार्षदों का कार्यकाल खत्म होने के साथ सरकार की ओर से नामित सदस्य बनने को लेकर खिचातान शुरू हो चुकी है। सदस्य बनने के चाहवान रक्षा मंत्रालय के उच्चाधिकारियों से लेकर बड़े स्तर के नेताओ तक पहुंच रहे हैं ताकि उनका नाम चयनित करके भेजा जाए।
तरुण जैन, फिरोजपुर : इस साल फरवरी माह में कैंटोनमेंट बोर्ड के पार्षदों का कार्यकाल खत्म होने के साथ सरकार की ओर से नामित सदस्य बनने को लेकर खिचातान शुरू हो चुकी है। सदस्य बनने के चाहवान रक्षा मंत्रालय के उच्चाधिकारियों से लेकर बड़े स्तर के नेताओ तक पहुंच रहे हैं ताकि उनका नाम चयनित करके भेजा जाए।
फरवरी 2020 में पार्षदों का पांच वर्ष का कार्यकाल खत्म होने के बाद रक्षा मंत्रालय की ओर से दो बार छह-छह माह का कार्यकाल पार्षदो का बढ़ाया गया था और अब फरवरी 2021 में यह कार्यकाल खत्म हो जाएगा, जिसके बाद केंद्र की ओर से कैंटोनमेंट की जानकारी रखने वाले एक सिविलियन को बोर्ड का सदस्य बना दिया जाता है जोकि जनता की समस्याओं को बोर्ड में उठाता है। केंद्र में भाजपा की सरकार होने के चलते जहां स्थानीय कुछ भाजपा नेता हाथ पांव मार रहे हैं तो कुछ संघ के उच्चाधिकारियों तक अपनी सिफारिश भेजी जा रही हैं। इन दिनों स्थानीय पार्षदो से लेकर कुछ पूर्व पार्षद भी नामित सदस्य के लिए तैयारी में जुट गए है।
लंबे समय से रहा है अकाली दल का कब्जा
बेशक कैंटोनमेंट बोर्ड के चुनाव पार्टी सिबल पर नहीं होते, लेकिन राजनीति हावी होने के चलते प्रत्याशी राजनीतिक पार्टियों का सहारा लेकर ही इन चुनावों को लड़ते है। 11 जनवरी 2015 में हुए चुनावो में क्षेत्र के 8 वार्डो में से 5 वार्डो में अकाली दल समर्थित, दो में भाजपा व एक में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी की जीत हुई थी और सुरिंद्र सिंह बब्बू बोर्ड के उपाध्यक्ष बने थे। वर्ष 2017 में राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद कुछ पार्षदों ने कांग्रेस का दामन थामते हुए सुरिंद्र सिंह पर अविश्वास जताते हुए सपना तायल को बोर्ड का उपाध्यक्ष चयनित किया था। नामित्त सदस्य बनने में योगेश का नाम आगे
वर्ष 2008 से पहले लंबे समय तक बोर्ड का चुनाव नहीं हुआ था तो उस वक्त अनिरूद्ध गुप्ता को नामित सदस्य नियुक्त किया गया था। लेकिन इन दिनों नामित सदस्य में संघ में विभिन्न पदों पर सेवाएं दे चुके और केंद्र व राज्य सरकार के पूर्व वकील योगेश गुप्ता का नाम चल रहा है। उनकी ओर से कई बार कैंटोनमेंट नियमो में बदलाव, बोर्ड को खत्म कर नगर कौंसिल में मिलाने तथा स्थानीय समस्यओं को केन्द्र सरकार तक उठाने का प्रयास किया जा चुका है। चुनाव संबंधी कोई पत्र नही मिला: सीईओ
सीईओ प्रोमिला जयसवाल कहती है कि पार्षदों का कार्यकाल खत्म होने के बाद आगे चुनाव होना है या फिर नामित सदस्य नियुक्त करना है। इस बारे उन्हें कोई पत्र नही मिला है। डिफैंस के नियमों मुताबिक जो भी आगे करना होगा, उसे लागू करवा दिया जाएगा।