कभी रेल मंडल का हिस्सा था स्टेशन गुलाम हुसैन
फिरोजपुर रेलवे मंडल में भले ही लाखों की संख्या में कर्मचारी व अधिकारी को नहीं पता।
दर्शन सिंह, फिरोजपुर :
फिरोजपुर रेलवे मंडल में भले ही लाखों की संख्या में कर्मचारी व अधिकारी काम कर रहे हैं, लेकिन इनमें अधिकांश को इस बात की जानकारी नहीं होगी कि गुलाम हुसैन स्टेशन कभी मंडल का हिस्सा था। फिरोजपुर छावनी स्टेशन के ट्रैक पर चलकर बंटवारे से पहले लाहौर जाने वाली ट्रेन का कभी इसी स्टेशन पर भी ठहराव होता था, मगर इस बात को सिर्फ पुरानी पीढ़ी ही जानती है, क्योंकि 1947 के बाद हुए भारत-पाक बंटवारे के बाद ट्रेन को बंद कर दिया गया था। करीब सात दशक बाद अब मंडल के रिकार्ड से भी स्टेशन गायब हो चुका है।
हालांकि नई पीढ़ी के लिए पहेली बन चुके इस स्टेशन के पास से साल में दो बार यानी 23 मार्च को शहीदी दिवस व 13 अप्रैल को मनाई जाने वाली बैसाखी के दिन ट्रेनों का आवागमन होता है, लेकिन इसके बाद लोगों को स्टेशन के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है।
गौर हो कि फिरोजपुर शहरी रेलवे स्टेशन से चलकर हुसैनी वाला की तरफ जाने वाले ट्रैक के पास स्थित हुसैनी वाला हेडवर्क्स की दूसरी तरफ गुलाम हुसैन स्टेशन की जगह पर पुराने अंश देखे जा सकते हैं, इसी स्टेशन पर पीपल का वर्षों पुराना पेड़ भी यहां पर स्टेशन होने की गवाही दे रहा है। स्टेशन के पास स्थित सात एकड़ जमीन पर किसानों ने कब्जा कर उसे अपनी जमीनों में मिला लिया है। स्टेशन के बारे में क्या बताते है बुजुर्ग
स्टेशन व उसकी जमीन के बारे में बुजुर्ग जगतार सिंह बताते हैं, गुलाम हुसैन स्टेशन पर रौनके देखने को मिलती थी, क्योंकि भारत-पाक बंटवारे से पहले फिरोजपुर स्टेशन से चलकर ट्रेन इसी स्टेशन से होती हुई लाहौर जाती थी। इस स्टेशन से कसूर जोकि अब पाकिस्तान का हिस्सा है 20 मील दूर है, जबकि लाहौर की बात करें तो स्टेशन से 40 मील की दूरी पर था। मुझे नहीं है जानकारी : डीआरएम
उधर फिरोजपुर रेलवे मंडल प्रबंधक राजेश अग्रवाल ने कहा कि उन्हें गुलाम हुसैन स्टेशन होने के बारे में जानकारी नहीं है। किसी ने बताया है, उन्होंने कहा कि अगर स्टेशन की जमीन पर कब्जा हो चुका है तो इसकी जांच करवाई जाएगी।