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हाल-ए-फिरोजपुर रेलवे स्टेशन, शोरगुल का आदी हूं, सोने नहीं देती यह खामोशी

ट्रेनों की आवाजाही न होने के कारण फिरोजपुर रेल मंडल के फिरोजपुर स्टेशन पर सन्नाटा पसरा हुआ है। न स्टाफ दिख रहा है और न मुसाफिर।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 02:31 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 02:31 PM (IST)
हाल-ए-फिरोजपुर रेलवे स्टेशन, शोरगुल का आदी हूं, सोने नहीं देती यह खामोशी
हाल-ए-फिरोजपुर रेलवे स्टेशन, शोरगुल का आदी हूं, सोने नहीं देती यह खामोशी

फिरोजपुर [अमनदीप सिंह]। फिरोजपुर रेल मंडल के प्रमुख के स्टेशन फिरोजपुर रेलवे कैंट में 22 मार्च से लेकर अब तक सन्नाटा पसरा हुआ है। अगर यहां किसी की आवाज किसी की सुनाई दे रही तो सिर्फ कबूतरों की।स्टेशन खाली-खाली नजर आ रहा है। कोरोना काल के 136 दिन से खाली पड़े कैंट रेलवे स्टेशन में इक्का-दुक्का कर्मचारियों का ही आना है।

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रेल कर्मचारियों का कहना है कि अति आवश्यक सेवाओं के कारण उनकी रेलवे स्टेशन पर ड्यूटी रहती है। इस दौरान उन्हें कई बार रेलवे स्टेशन पर ही सोना पड़ता था। वह पंद्रह से बीस वर्षों से ट्रेनों की आवाज और मुसाफिरों के कदमों की आहट के बीच सोने के आदी हो गए थे। इस शोरगुल माहौल में जहां उनको गहरी नींद आ जाती थी, अब स्टेशन का सन्नाटा और खामोशी उन्हें सोने नहीं देती है।

फिरोजपुर कैंट रेलवे स्टेशन से रोजाना 30 के करीब ट्रेनें चलती थी, जिनमें मेल एक्सप्रेस और डीएमयू फेरे वाली ट्रेनें भी शामिल है। 22 मार्च से लेकर अब तक के 136 दिन के कोरोना कार्यकाल ने हरेक व्यक्ति की दिनचर्या पर गहरा असर डाला है और बहुत कुछ बदलकर रख दिया है। 22 मार्च से ट्रेनों का चक्का जाम है। यही नहीं, ईंजन के हार्न की आवाज और मुसाफिरों की चहलकदमी भी नहीं।

आमतौर पर रेलवे स्टेशन पर रोजाना 15-20 हजार मुसाफिरों की रोजाना आवाजाही होती थी। रेलवे स्टेशन में वर्षों बाद इतने लंबे समय तक के लिए कैंट स्टेशन में शांत माहौल को देखा गया, जिसने उन्हें बेचैन करके रखा है। अन्यथा टिकट घर में टिकट लेने वालों की भीड़भाड़, प्लेटफार्म से छूटती ट्रेन को पकड़ने के लिए मुसाफिरों के भागने का दृश्य, सबकुछ कहीं गुम सा हो गया है।

इन दिनों आपातकालीन सेवाओं के मद्देनजर रेलवे की तरफ से सिर्फ कैंट स्टेशन से मालगाड़ियां ही चलाई जा रही हैंं। यह भी सिर्फ 10 से 12 की गिनती में हैंं और विशेष दिनों और राज्य सरकार की मांग पर ही चल रही हैं। दूसरी तरफ कोरोना काल के कारण फिरोजपुर कैंट मुकम्मल बंद है, जिसकी वजह से पटरियों पर डीएमयू ट्रेनें तीन-तीन माह से खड़ी होने के कारण धूल से गंदी होने लगी है। इस कोरोनाकाल के बीच अप्रैल में कुछ श्रमिक स्पेशल स्टेशनें चलाई गई थी, उसके बाद फिर से खामोशी छा गई है।

मालगाड़ियों के चलते वक्त इक्का-दुक्का स्टाफ ही उपलब्ध

फिरोजपुर कैंट रेलवे स्टेशन से मौजूदा समय में आठ से 12 विशेष मालगाड़ियों को विशेष दिनों पर चलाया जा रहा है। इनके चलने के वक्त नाममात्र स्टाफ ही नजर आता है, जिसमें कैरिज एंड वैगन, ड्राइवर, गार्ड और अन्य अति आवश्यक सेवाओं वाला स्टाफ ही उपलब्ध रहता है।

परिंदों का पक्का बसेरा तो बना, लेकिन वह भी बैचेन

रेलवे के शेडों पर परिंदों का पक्का बसेरा बन गया है एक आद बार रेलकर्मियों के गुजरते वक्त कबूतरों की गुटर गूं जरूर सुनाई दे देती है, लेकिन वह शोरगुल स्टेशन का माहौल कानों में अब नहीं सुनने को मिलता। इससे परिंदे भी बैचेन है।


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