संत निरंकारी मिशन ने आयोजित किया वर्चुअल भक्ति पर्व समारोह
ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति के बाद हृदय से जब भक्त व भगवान का नाता जुड़ जाता है तो तभी सही रूप में भक्ति की शुरुआत होती है।
संवाद सहयोगी, फिरोजपुर : ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति के बाद हृदय से जब भक्त व भगवान का नाता जुड़ जाता है तो तभी सही रूप में भक्ति की शुरुआत होती है और हमें खुद को इसी रास्ते की तरफ बढ़ाना है, जहां भक्त और भगवान का मिलन होता है। भक्ति सिर्फ एक तरफा प्यार नहीं, बल्कि ओत-प्रोत अवस्था है, जहां भगवान अपने भक्त के प्रति प्यार का भाव रखते हैं, वहीं भक्त भी अपने दिल में प्रेम भक्ति का भाव रखता है। यह संदेश सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने वर्चुअल रूप में संत निरंकारी मिशन की तरफ से आयोजित भक्ति पर्व समारोह के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि परमात्मा के साथ जुड़कर प्रेम करना ही सच्ची भक्ति है और प्रभु की भक्ति की मानव को अंत समय में इस भवसागर से पार लगाती है। इस वर्चुअल समारोह में देश-विदेश से संगत ने हिस्सा लिया, जिन्हें गीत व कविताओं के जरिए अपने विचार भी सांझे किए।