Move to Jagran APP

आजाद भारत में 1836 के अंग्रेजी नियम झेल रहे फिरोजपुर व कैंटोनमेंट के बाशिदे

फिरोजपुर व जालंधर में आता छावनी क्षेत्र ऐसा इलाका है जहां पर हरेक पार्टी के नेता वादे तो खूब करते हैं लेकिन उसे वफा करवाने में पीछे रह जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 05:55 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 05:55 AM (IST)
आजाद भारत में 1836 के अंग्रेजी नियम झेल रहे फिरोजपुर व कैंटोनमेंट के बाशिदे
आजाद भारत में 1836 के अंग्रेजी नियम झेल रहे फिरोजपुर व कैंटोनमेंट के बाशिदे

तरूण जैन, फिरोजपुर : फिरोजपुर व जालंधर में आता छावनी क्षेत्र ऐसा इलाका है, जहां पर हरेक पार्टी के नेता वादे तो खूब करते हैं, लेकिन उसे वफा करवाने में पीछे रह जाते हैं। चुनावी सीजन में यहां के लोग जब अपनी समस्याएं नेताओं को बताते हैं तो जनता को आश्वासनों के पुलिदे पढ़ा दिए जाते हैं। आजाद भारत में यहां के लोग आज भी 1836 के अंग्रेजी नियमों का संताप झेल रहे हैं। यहां की जनता खुद को गुलाम महसूस करती है। क्योंकि एक तरफ पंजाब सरकार के कानून झेलने पड़ते है तो दूसरी तरफ केंद्र की सरकार के नियम भी यहां के लोगो पर लागू होते हैं।

loksabha election banner

-क्या है समस्याएं

आजादी के बाद भी वर्ष 1836 के ब्रिटिश कानून यहां लागू होने के कारण ना तो यहां का कोई बाशिदा जमीन का मालिक है और ना ही पांच हजार से ज्यादा की रजिस्ट्री होती है। इतना ही नहीं भवन निर्माण करना भी नियमों के उल्लंघन की श्रेणी में आने के कारण लोग अंग्रेजों द्वारा बनाए इन कानूनों से आजादी चाहते हैं। यहां के लोग सिर्फ स्ट्रक्चर के मालिक हैं, लेकिन रक्षा मंत्रालय के अधीन होने के चलते बैंक भी यहां के लोगो को लोन नहीं देते। फिरोजपुर कैंटोनमेंट में पिछले एक दशक से रजिस्ट्रियों पर भी रोक लगी है। जरनल लैंड रजिस्टर- जीएलआर-के तहत कब्जाधारक आजादी से पहले के कैंटोनमेंट रिकार्ड में है, उसे बोर्ड प्रशासन द्वारा वैलिड माना जाता है। जिस कारण वह व्यक्ति अगर किसी अन्य को वह संपत्ति बेचता है तो उसे बोर्ड प्रशासन द्वारा मान्यता नहीं दी जाती। जिस कारण वह व्यक्ति ना तो भवन निर्माण कर सकता है और न ही किसी को आगे प्रापर्टी ट्रांसफर कर सकता है। सिविल एरिया में मिलाने की मांग

-बिजनेस एसोसिएशन के प्रधान पिटू कालड़ा ने कहा कि योल कैंट की भांति फिरोजपुर कैंटोनमेंट को भी फ्री होल्ड करके सिटी एरिया में तब्दील कर देना चाहिए। केंद्र सरकार को इस तरफ विशेष कदम उठाने चाहिए। आए दिन बोर्ड प्रशासन द्वारा नोटिस आने से यहां के लोग काफी परेशान है।

-भट्टा एसोसिएशन के पदाधिकारी राकेश अग्रवाल बबली ने कहा कि उनके द्वारा वर्ष 2020 में भी केंद्र सरकार को नियमों में संशोधन संबंधी ज्ञापन बनाकर भेजा गया था और इस बारे में क्षेत्र में अभियान भी चलाया था। सरकार को 1836 के नियमों में बदलाव करना चाहिए।

-युवा समाजसेवी गगन अग्रवाल ने कहा कि क्षेत्र के लोग आज भी दो सरकारों के नियमों का संताप झेल रहे हैं। जिसमें बदलाव करना समय की बड़ी मांग है।

-नेताओ के घर भी यहीं

राज्य में दो बार कैबिनेट मंत्री रहे जनमेजा सिंह सेखों, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर के करीबी और पूर्व खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी, पूर्व अकाली विधायक जोगिदर सिंह जिदू, कांग्रेसी विधायक परमिदर पिकी व भाजपा के पूर्व विधायक सुखपाल सिंह नन्नू, पूर्व विधायक गुरनैब सिंह बराड़ का निवास फिरोजपुर छावनी में है। इसके बावजूद यहां की समस्याओं से हल करवाने में किसी का ध्यान नहीं गया। इतने हैं वार्ड

जालंधर कैंटोनमेंट बोर्ड में सात तथा फिरोजपुर कैंटोनमेंट बोर्ड में कुल आठ वार्ड है। केंद्र में उठाए हैं मुद्दे

केंद्र सरकार नियुक्त किए गए फिरोजपुर कैंटोनमेंट बोर्ड के सदस्य एडवोकेट योगेश गुप्ता ने कहा कि क्षेत्र की समस्याओ को उन्होंने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत तक पहुंचाया है। इससे पहले भी वह रक्षा मंत्री अरूण जेटली को शिष्टमंडल के साथ मिल चुके हैं।

- जालंधर कैंटोनमेंट सदस्य पुनीत भारती शुक्ला ने बताया कि जीजीओ ईस्ट इंडिया कंपनी के समय में गवर्नर जरनल होता था, जिसे हटाने पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। कैंटोनमेंट नियमो में बदलाव के लिए केंद्र सरकार सख्त कदम उठा रही है। सिविल पब्लिक पर अब भी आर्मी मिसयूज करती है, सड़कें बंद कर देते हैं। व्यापार बंद हो जाता है, प्रोसिजर एडॉप्ट करने के बाद ही आर्मी को एक्शन लेना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.