गुरु-शिष्य संबंध को ²ढ़ करने का कर्तव्य शिष्य पर है : साध्वी ममता
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की तरफ से सत्संग कार्यक्रम का आयोजन श्रीगंगानगर रोड आश्रम में किया गया।
जागरण संवाददाता, अबोहर : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की तरफ से सत्संग कार्यक्रम का आयोजन श्रीगंगानगर रोड आश्रम में किया गया। शिष्या साध्वी ममता भारती ने अपने सत्संग विचारों में कहा कि हम अपनी आध्यात्मिक यात्रा बहुत उत्साह के साथ शुरू करते हैं। परन्तु अधिकतर समय व परिस्थितियों से प्रभावित हो आध्यात्मिक शिखर को प्राप्त करने के लिए हमारा उत्साह कम होने लगता हैं। ऐसे समय में शिष्य को सहयोग की आवश्यकता पड़ती है जो मात्र पूर्ण सतगुरु ही प्रदान कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार उलटे पात्र में जल को नहीं सहेजा जा सकता उसी प्रकार यदि शिष्य में पात्रता न हो तो वह गुरु कृपा को सहेज नहीं सकता। गुरु-शिष्य संबंध को दृढ़ करने का कर्तव्य शिष्य पर है कि वह अपने पक्ष को मजबूत करने का प्रयास करे। आभार की भावना आंतरिक दुनिया में विकास करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। आभार केवल इस अनमोल जीवन के लिए ही नहीं, बल्कि हर क्षण के लिए अलौकिक संबंध की ऊंचाइयों को पाने का एक सुनहरा अवसर होना चाहिए। गुरु द्वारा प्रदान किए गए दिव्य ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) के लिए शिष्य के भीतर कृतज्ञता के भाव अनायास ही प्रवाहित होने लगते हैं, इन्हीं भावों की दृढ़ता हमारे हृदय को कृतज्ञता से भर देती है। इस स्तर पर हम रोजमर्रा की स्थितियों को दु:ख के स्त्रोत के रूप में नहीं देखेंगे बल्कि आध्यात्मिक विकास की कुंजी के रूप में देखेंगे। हमारी पवित्र व शुद्ध भावनाएं दूसरों को भी शांत जीवन जीने के लिए प्रेरित करेंगी। इस अवसर पर साध्वी जसपाल भारती ने भजनों का गायन किया।