गठबंधन से नाता तोड़ना ड्रामा है तो कैप्टन भी सीएम पद से इस्तीफा देकर ड्रामा करें : हरसिमरत
अकाली दल द्वारा भाजपा के खिलाफ सीधे तौर पर आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी है।
तरुण जैन, फिरोजपुर : अकाली दल द्वारा भाजपा के खिलाफ सीधे तौर पर आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी है। मुख्य बात यह है कि पहली बार अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल व पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल द्वारा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक व जनसभाओ में उनको सबूतों के साथ तथ्यों को बताया जा रहा है।
सोमवार को शहीदों की धरती पर पहुंची हरसिमरत कौर बादल ने जहा भाजपा किसान मोर्चा के नवनियुक्त प्रधान किक्कर सिंह कुतबे वाला सहित अन्य भाजपाइयों को अकाली दल में शामिल कर सिरोपा पहनाए तो वहीं भाजपा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस सरकार में रहकर वह एनडीए को अपना समझती थीं, उसी एनडीए ने ही पंजाब के किसानों के साथ धोखा किया है। हरसिमरत ने कहा कि वर्ष 2011 में जब मनमोहन सरकार ने उक्त तीन कृषि बिलों को पास करने की बात कहीं थी तो गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए नरेंद्र मोदी ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि किसानों, आढ़तियो व व्यापारियों का नाखून मांस का रिश्ता है और फसलों पर एमएसपी को खत्म होने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब कौन सी जरूरत पड़ गई कि केंद्र को ये बिल पास करने पड़े। हरसिमरत कौर ने कहा कि अकाली दल द्वारा गठबंधन तोड़ने तथा केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने को जो लोग ड्रामा बता रहे है तो कैप्टन अमरिंदर सिंह भी एक बार यह ड्रामा करके देख ले। उन्होंने कहा कि अकाली दल किसानों की पार्टी है और हमेशा ही किसानो और खेत मजदूरो के हितों के लिए संघर्ष करता आएगा।
हरसिमरत के 16 मिनट के भाषण में मुख्य निशाना काग्रेस व आम आदमी पार्टी पर रहा। उन्होंने कहा कि जब से उन्हें इस काले कानून के बारे में पता चला तो तभी से वह पार्टी के अन्य नेताओ के साथ मिलकर प्रधानमंत्री से लेकर वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री, कृषि मंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय प्रधान तक से मिल चुके है, लेकिन किसी ने उनकी एक ना सुनी और जब राज्यसभा में तीन कृषि विधेयकों को मंजूरी मिल गई तो उन्होंने तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि उसके बावजूद जब केंद्र ने उनकी मागों पर ध्यान ना दिया तो अकाली दल ने मजबूरी में गठबंधन से अलग होने का फैसला लिया।
गाव बजीदपुर में स्थित गुरुद्वारा साहिब में आयोजित वर्कर मीटिंग को संबोधित करते हुए हरसिमरत कौर ने कहा कि वर्ष 2019 में उक्त बिलो को लेकर जब केंद्र ने 7 राज्यो के मुख्यमंत्रियों की कमेटी बनाई तो उसमें कैप्टन अमरिदर सिंह भी शामिल थे और उन्होंने इन बिलों पर केंद्र को सहमति दी तथा उसके बाद वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने भी केंद्र में जाकर इन बिलो पर सहमति प्रकट दी।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 के चुनावों में पंजाब काग्रेस के मेनिफेस्टो में पंजाब की मंडियों को खत्म करने का प्रपोजल था तो वहीं 2019 के संसदीय चुनावो में काग्रेस के राहुल गाधी ने देश भर में मंडीकरण को बंद करने की बात कहीं थी। उन्होंने कहा कि जब काग्रेस के इन बिलो पर एनडीए के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोहर लगा दी तो काग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेता ड्रामे कर रहे है। इस अवसर पर जनमेजा सिंह सेखो, अवतार सिंह मिन्ना, जोगिन्द्र सिंह जिंदू, वरदेव सिंह नोनी मान, सुरिन्द्र सिंह बब्बू उपस्थित थे।