साहित्य को सहेजने का प्रयास कर रहे प्रिंसिपल सतिंदर सिंह
अध्ययन और लेखन के शौक व शिक्षा के प्रसार से मिली अलग पहचान के बाद फिरोजपुर के प्रिसिपल सतिदर सिंह साहित्य सहेजने और युवा पीढ़ी को इतिहास की जानकारी देने के लिए काम कर रहे हैं।
अशोक शर्मा, फिरोजपुर : अध्ययन और लेखन के शौक व शिक्षा के प्रसार से मिली अलग पहचान के बाद फिरोजपुर के प्रिसिपल सतिदर सिंह साहित्य सहेजने और युवा पीढ़ी को इतिहास की जानकारी देने के लिए काम कर रहे हैं। भारत के राष्ट्रपति के पुरस्कार हासिल करने के बाद ये जज्बा और भी मजबूत हो गया। डा. सतिदर सिंह के मुताबिक पढ़ने और लिखने की आदत को अपनी दिनचर्या में शुमार करना होगा। इसलिए समय निकाल कर वे लेखन के शौक को पूरा करते हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में सीमावर्ती गांवों को अलग पहचान दिलाने वाले डा.सतिदर सिंह को नेशनल अवार्ड मिला तो उनको नेशनल अवार्डी का नाम भी। पंजाब सरकार ने 2008 में स्टेट अवार्ड से उन्हें सम्मानित किया तथा 2012 में उन्हें राष्ट्रीय अवार्ड दिया गया। 2017 में डा.सतिदर सिंह को तरक्की देकर हिद पाक सरहद पर सीनियर सेकेंडरी स्कूल गट्टी राजोके में प्रिसिपल नियुक्त किया गया। डा. सतिदर सिंह ने कहा कि युवा पीढ़ी को इतिहास में रुचि रखनी चाहिए ताकि उन्हें इतिहास और वर्तमान हालातों में अंतर पता लग सके। लेखकों की रचनाओं के अध्यन से ही भविष्य बेहतर बन सकता है। डा.सतिदर सिंह के लिखे लेख कई मशहूर प्रकाशन हाउस की ओर से प्रकाशित किए जा चुके है। विभिन्न पहलूओं और सामाजिक परि²श्य के साथ कई ऐसे तथ्यों पर उन्होंने लेख लिखे जो आगे जाकर इतिहास का हिस्सा बन सकते है। इतिहास को सहेजने की आदत पर वे कहते हैं इतिहास की जानकारी और लेखकों की रचनाओं को सहेजने के लिए शिक्षा जगत को अपने तौर भी काम करना चाहिए और युवाओं को इसके साथ जोड़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। लेखन और अध्यन की आदत से ही इतिहास, वर्तमान का अंतर समझ आएगा और भविष्य के लिए नई पीढ़ी तैयार हो सकेंगी।