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1969 में पहली बार जनसंघ के विधायक बने थे पंडित बालमुकंद, आज होगा अंतिम संस्कार

आजादी के बाद शहीदों के शहर की सियासत में ऊंचा कद रखने तथा पांच बार विधायक व एक बार कैबिनेट मंत्री बनने वाले पंडित बाल मुकंद शर्मा के निधन के बाद लोगो में शोक का माहौल है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Jan 2021 10:31 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2021 10:31 PM (IST)
1969 में पहली बार जनसंघ के विधायक बने थे पंडित बालमुकंद, आज होगा अंतिम संस्कार
1969 में पहली बार जनसंघ के विधायक बने थे पंडित बालमुकंद, आज होगा अंतिम संस्कार

संवाद सूत्र, फिरोजपुर : आजादी के बाद शहीदों के शहर की सियासत में ऊंचा कद रखने तथा पांच बार विधायक व एक बार कैबिनेट मंत्री बनने वाले पंडित बाल मुकंद शर्मा के निधन के बाद लोगो में शोक का माहौल है।

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कांग्रेस के सीनियर नेता कहलवाने वाले पंडित बाल मुकंद ने अपने सियासी जीवन की शुरुआत जनसंघ से की थी। वर्ष 1967 में उन्होंने पहला चुनाव जनसंघ से लड़ा था। तब गिरधारा सिंह कांग्रेस में होते थे और बालमुकंद को मात्र 9029 वोट मिले थे। इसके बाद बाल मुकंद ने 1969 में विधानसभा सभा चुनाव जनसंघ से लड़ा और कांग्रेस के गिरधारा सिंह को 2594 वोटो के अंतर से हराया था। उसके बाद वर्ष 1972 में बालमुकंद कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े और आजाद खड़े हुए गिरधारा सिंह से जीत गए। उसके बाद बालमुकंद शर्मा 1980, 1985 तथा 1992 में लगातार तीन बार कांग्रेस से विधायक रहे। जबकि वह 1967, 1977, 2002 तथा 2007 में चुनाव हारे थे। उन्होंने अंतिम चुनाव भाजपा के सुखपाल सिंह नन्नू से हारा था।

पंडित बालमुकंद ने 2 जनवरी को अपने जन्मदिन वाले दिन चंडीगढ़ पीजीआई में दोपहर 3:45 पर अंतिम सांस ली थी और वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके बेटे गुलशन शर्मा ने बताया कि अंतिम संस्कार 4 जनवरी को 12:30 बजे शहर के जीरा गेट स्थित शमशान भूमि में किया जाएगा।

हर पार्टी के लोग करते थे सम्मान

बेशक लोग पंडित बालमुकंद को कांग्रेस का सीनियर नेता कहते थे, लेकिन हर पार्टी के लोग उनका सम्मान करते थे और चुनाव लड़ने वाला हरेक प्रत्याशी उनका आशीर्वाद लेने जाता था। बेशक 1992 के बाद वह चुनाव नही जीत पाए थे, लेकिन राजनीतिक गलियारों में उनका प्रतिष्ठा पहले की तरह थी। 2019 में हुए संसदीय चुनावों में अकाली दल सुप्रीमो सुखबीर सिंह बादल ने जब फिरोजपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा तो वह भी पंडित जी का आर्शीवाद लेने उनके निवास पर गए थे।


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