नियम तोड़ने वालों के साथ पालन करवाने वाले भी लापरवाह
सड़कों पर वाहन चला रहे कम उम्र के चालक और बिना इंश्योरेंस के वाहन दूसरों के लिए जोखिम बन रहे हैं। अधिकतर सड़क हादसे जहा तेज रफ्तार और लापरवाही से होते हैं
दर्शन सिंह, फिरोजपुर : सड़कों पर वाहन चला रहे कम उम्र के चालक और बिना इंश्योरेंस के वाहन दूसरों के लिए जोखिम बन रहे हैं। अधिकतर सड़क हादसे जहा तेज रफ्तार और लापरवाही से होते हैं, वहीं बिना लाइसेंस और बिना इंश्योरेंस के वाहन भी हादसों के लिए जिम्मेदार हैं। कम उम्र में बच्चों को वाहन देकर अभिभावक भी उनकी जान को जोखिम में डाल रहे हैं। सड़क हादसों में ज्यादातर मौत की उन चालकों की होती है जो बिना हेलमेट के दो पहिया वाहन चलाते है और ओवरटेक करने के चक्कर में जान से हाथ धो रहे हैं। साल 2018 से लेकर अब तक 365 के करीब लोग सड़क हादसों का शिकार होने के बाद मौत की नींद सो चुके हैं।
फिरोजपुर में इस साल के दौरान अभी तक सड़क हादसों में 110 मौतें हुई हैं, जिनमें अधिकतर युवा शामिल हैं,जोकि दो पहिया वाहन पर थे और हो सकता है कि इनमें से ज्यादातर ने हेलमेट का प्रयोग भी किया हो, जिसकी वजह से हादसा होने पर उनके सिर पर गहरी चोट आने से मौत हुई है। 26 नवंबर की सुबह भी ऐसा ही एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें बिना हेलमेट एकिटवा चला रहा एक युवक ट्राला से हुई टक्कर में अपनी जान को गंवा बैठा और उसके साथ स्कूटी पर सवार उसकी नवविवाहित बहन की भी मौत हो गई।
ट्रिपल सवारी भी बनती है हादसे का कारण
मौजूदा समय में ट्रिपल सवारी का शौक आम हो चुका है। कम आयु के लड़के व लड़किया बिना हेलमेट के दो पहिया वाहनों पर ट्रिपल स्वारी करते आम देखने को मिल रहे हैं। दो पहिया वाहनों से होने वाले हादसों का कारण भी ट्रिपल सवारी है और कसूरवार वे वाहन चालक बन जाता है जो बेकसूर होता है।
चालान काटने तक सीमित रहता है ट्रैफिक पुलिस का काम
नियमों का उल्लंघन करते सड़कों पर दौड़ रहे वाहनों पर ट्रैफिक पुलिस शिकंजा कसने के बजाय उनका चालान काट कर खानापूíत कर लेती है, लेकिन हादसों का कारण बनने वाले ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नही की जाती ।
लोगों की जागरूकता से ही कम होंगे हादसे: जिला ट्रैफिक इंचार्ज
जिला ट्रैफिक इंचार्ज रवि कुमार कहते है कि लोगों की जागरूकता के बिना हादसों को नहीं रोका जा सकता, बिना हेलमेट वाहन चलाना व वाहन चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करना लोगों का शौक बन चुका है। लाइसेंस बनवाना लोग जरूरी नही समझते। उनकी तरफ से लोगों को जागरूक भी किया जाता है। हर माह 350के करीब दो पहिया वाहनों के चालान काटे जाते हैं।