पराली का करें सही प्रबंधन : डा.बलविंदर
कुदरत के साथ छेड़छाड़ मानव को महंगी पड़ रही है समय की बचत को लेकर जहां मानव ने अधिक खाद और दवा डालकर अपनी फसल का झाड़ बढ़ाया वहीं आए दिन नई बीमारियों को न्योता भी दे रहा है।
संवाद सूत्र, मक्खू (फिरोजपुर) : कुदरत के साथ छेड़छाड़ मानव को महंगी पड़ रही है, समय की बचत को लेकर जहां मानव ने अधिक खाद और दवा डालकर अपनी फसल का झाड़ बढ़ाया, वहीं आए दिन नई बीमारियों को न्योता भी दे रहा है। यह बात मक्खू में किसानों को जागरूक करते खेती विभाग के डा. बलविदर सिंह ने कहीं।
उन्होंने कहा कि पराली के धुएं के साथ मधु मक्खी पालकों का भी बड़े स्तर पर नुक्सान होता है। पराली न जलाने से खेत की मिट्टी की ऊपजाऊ शक्ति बढ़ती है और किसान की फसल उपज अधिक होती है, जिस की मिसाल गांव जल्लेवाला के किसान जगतार सिंह, सतनाम सिंह, गगनदीप सिंह, हरविंदर सिंह, इंद्रजीत सिंह, परमजीत सिंह, करमजोध सिंह, कुलराज सिंह दे रहे हैं, जोकि पिछले तीन साल से गेहूं और पराली के अवशेष खेतों में ही मिला रहे हैं। इंस्पेक्टर भूपिंदर सिंह ने कहा कि जगतार सिंह जल्लेवाला और अन्य किसान किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन रहे हैं। इनसे किसानों को सीख लेनी चाहिए।