जीरा में पहली बार महिला ने जीता था चुनाव
जीरा विधानसभा में राजनीति के बड़े धुरंधरों के बीच चुनाव होने जा रहा है। अपने ही राजनीति के मैदान में विभिन्न पार्टियों से एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे है जबकि भाजपा अभी इस सीट पर प्रत्याशी उतारने में समय लगा रही है।
तरूण जैन, फिरोजपुर : जीरा विधानसभा में राजनीति के बड़े धुरंधरों के बीच चुनाव होने जा रहा है। अपने ही राजनीति के मैदान में विभिन्न पार्टियों से एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे है, जबकि भाजपा अभी इस सीट पर प्रत्याशी उतारने में समय लगा रही है।
जीरा विधानसभा का गठन 1957 में हुआ था और और यहां पर पहली बार जसवंत कौर कांग्रेस से महिला विधायक बनी थी। इसके बाद यहां पर पुरुषों का वर्चस्व रहा है। यह क्षेत्र खडूर साहिब संसदीय क्षेत्र में आता है। इस समय कांग्रेस के कुलबीर सिंह जीरा विधायक हैं और 2012 में अकाली दल के हरी सिंह जीरा विधायक थे। 2017 में कुलबीर सिंह जीरा 23071 वोटो के अंतर से जीते थे।
कांग्रेस प्रत्याशी कुलबीर सिंह जीरा पूर्व अकाली मंत्र इंद्रजीत सिंह जीरा के बेटे हैं। इंद्रजीत 1997 में अकाली शासन में पावरफुल मंत्री थे, लेकिन बाद में उन्होंने पार्टी बदल ली थी। कुलबीर के सामने अकाली दल ने दो बार कैबिनेट मंत्री रह चुके जनमेजा सिंह सेखों को मैदान में उतारा है। आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के पूर्व विधायक नरेश कटारिया को टिकट दी है। कभी आपस में एक होने का दावा ठोकने वाले आज इस सीट पर एक-दूसरे के सामने चुनावी रण में उतरे हुए है, जिस कारण यह सीट सभी में दिलचस्प बनी हुई है।
जानकार बताते हैं जनमेजा सिंह सेखो जोकि पैराशूट उम्मीदवार है। इससे पहले वह फिरोजपुर और मोड़ मंडी से विधायक रह चुके हैं। अकाली दल ने यहां पर पूर्व मंत्री हरी सिंह जीरा के बेटे अवतार सिंह मीन्ना को टिकट नहीं दी थी, जिस कारण उन्होंने अकाली दल के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद करते हुए भाजपा का फूल पकड़ लिया था।
क्षेत्र में ट्रैफिक जाम, सीवरेज, टूटी गलिया-सड़कें, मक्खू में बस स्टैंड की कमी और ओवर ब्रिज का ना होना, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, बरसात के दिनों में शहर का जलमगन रहना आम समस्याएं है। चुनाव के ऐन मौके पर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को बुलाकर 74.21 करोड़ के चार प्रोजेंक्ट के नींव पत्थर रखवाए, जिनमें 50 करोड़ की लागत से जीरा में पांच एकड़ भूमि में सिविल अस्पताल का निर्माण किया जाएगा। 5.76 करोड़ की लागत से प्रबंधकीय कम्पलेक्स, मक्खू में 6 करोड़ की लागत से बस स्टैंड और 12 करोड़ की लागत से आइटीआई का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा खेल स्टेडियम बनाने के लिए एक करोड़ और मक्खू में ड्रेन की सफाई के लिए 10 करोड़ खर्च करना शामिल है। अकालियो का गढ़ है जीरा
जीरा में अब तक सात बार अकाली दल, पांच बार कांग्रेस और दो बार एडीएस का कब्जा रह चुका है। 1957 में यहां पर कांग्रेस की जसवंत कौर, 1962 में एडीएस से जगजीत सिंह, 1967 में एडीएस हरचरण सिंह, 1969 में कांग्रेस के मेहताब सिंह, 1972 में कांग्रेस के नसीब सिंह, 1977 में अकाली दल के हरी सिंह जीरा, 1980 में अकाली दल के हरचरण सिंह हीरो, 1985 में अकाली दल के हरी सिंह जीरा, 1992 व 1997 में अकाली दल के इंद्रजीत सिंह जीरा, 2002 में अकाली दल के हरी सिंह, 2007 में कांग्रेस के नरेश कटारिया, 2012 में अकाली दल के हरी सिंह, 2017 में कांग्रेस के कुलबीर सिंह जीते थे।