फिरोजपुर में लंपी स्किन से पांच पशुओं की हो चुकी मौत
लंपी स्किन बीमारी की रोकथाम के लिए पशु पालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जसवंत सिंह राय खुद फील्ड में उतरकर पशुओं का चेकअप कर रहे है।
संवाद सूत्र, फिरोजपुर : लंपी स्किन बीमारी की रोकथाम के लिए पशु पालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जसवंत सिंह राय खुद फील्ड में उतरकर पशुओं का चेकअप कर रहे है। जसवंत सिंह राय मुताबिक जिले में अभी तक मात्र पांच पशुओं की मौत हुई है और 358 पशु संक्रमण से ग्रसित सामने आए है। विभाग को दो सैंपल पाजीटिव मिले है और 290 पशु ठीक हो चुके हैं। विभाग द्वारा अभी तक 316 पशुओं को ट्रीटमेंट दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि पाजीटिव सैंपल जीरा सब-डिविजन के ही आए है। ज्यादा वायरस गायों में देखने को मिला है और यह गोशालाओं में ज्यादा बढ़ रहा है। विभाग द्वारा इसकी रोकथाम के लिए टीमों का गठन कर दिया गया है और वैटरनरी डाक्टरो के अलावा इंस्पेक्टर सहित अन्य अमला शिकायत मिलने पर गांव में पहुंचकर उपचार करने के अलावा दवाएं बांट रहे है।
लंपी स्किन रोकथाम को 11 टीमें तैनात संवाद सूत्र, फाजिल्का : पशुओं में फैल रही लंपी स्किन बीमारी की रोकथाम के लिए जिले में पशु पालन विभाग की 11 टीमें फील्ड में काम कर रही हैं। विभाग की टीमें गांव गांव जाकर पशु पालकों को जागरूक कर रही हैं।
पशु पालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डा. राजीव छाबड़ा ने बताया की वीरवार को जिले में 28 जानवरों की मौत की पुष्टि हुई है। उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार द्वारा जिले में दवाइयों आदि की खरीद के लिए पांच लाख रुपए भेजे गए हैं। सभी वैटरनरी डाक्टर गांवों में कैंप लगा कर किसानों को इस बीमारी से बचाव संबंधी जानकारी दे रहे हैं, जबकि बीमार पशुओं का इलाज भी किया जा रहा है। विभाग के डिप्टी डायरेक्टर राजीव छाबड़ा ने किसानों से अपील की है कि किसान घबराहट में न आएं। उन्होंने कहा की यदि किसी के पशुओं में यह बीमारी आ गई है तो तुरंत नजदीक के सरकारी अस्पताल के साथ संपर्क किया जाए। उन्होंने इस बीमारी के लक्षण बताते कहा की इस बीमारी के साथ तेज बुखार, मुंह पर चमड़ी और छाले हो जाते हैं। डा. राजीव छाबड़ा ने कहा कि यदि पशुओं में इस बीमारी के लक्षण दिखाई दें, जिसमें जानवर के शरीर पर दाग पड़ जाते हैं तो ऐसे जानवर को सेहतमंद जानवरों से अलग कर दें और उसको अच्छी खुराक दें। उन्होंने कहा कि पशु पालक भाई अपने जानवरों और छप्परों में चिचड़ और मच्छरों की रोकथाम भी करें। क्योंकि यह बीमारी चिचड़ और मच्छरों के द्वारा भी एक जानवर से दूसरे जानवर तक फैलती है। इसलिए पशुओं को एक जगह से दूसरी जगह पर न ले जाया जाए।