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पौंग से छोड़ा जा रहा 35 हजार क्यूसिक पानी, सतलुज का जलस्तर बढ़ा

फिरोजपुर : आठ माह बाद हरिकेहेड से हुसैनीवाला हेड तक सतलुज के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है। हरिकेहेड से वर्तमान में रोजाना 11 हजार क्यूसिक पानी का छोड़ा जा रहा है। इतनी मात्रा में हरिके हेड से पानी छोड़े जाने से दरिया के सभी हिस्सों में पानी फैलने लगा है, हालांकि जिले के किसी भी हिस्से में अभी बाढ़ जैसे हालात नहीं हैं। दरिया के लबालब होने के लिए हरिकेहेड से रोजाना कम से कम 40 हजार क्यूसिक पानी छोड़ा जाना चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 03:42 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 03:42 PM (IST)
पौंग से छोड़ा जा रहा 35 हजार क्यूसिक पानी, सतलुज का जलस्तर बढ़ा
पौंग से छोड़ा जा रहा 35 हजार क्यूसिक पानी, सतलुज का जलस्तर बढ़ा

जागरण संवाददाता, फिरोजपुर : आठ माह बाद हरिकेहेड से हुसैनीवाला हेड तक सतलुज के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है। हरिकेहेड से वर्तमान में रोजाना 11 हजार क्यूसिक पानी का छोड़ा जा रहा है। इतनी मात्रा में हरिके हेड से पानी छोड़े जाने से दरिया के सभी हिस्सों में पानी फैलने लगा है, हालांकि जिले के किसी भी हिस्से में अभी बाढ़ जैसे हालात नहीं हैं। दरिया के लबालब होने के लिए हरिकेहेड से रोजाना कम से कम 40 हजार क्यूसिक पानी छोड़ा जाना चाहिए। पहाड़ों पर हो रही मूसलाधार बारिश के परिणाम पौंग बांध में पानी भर गया है, जिसे देखते हुए बांध से ब्यास नदी में पानी छोड़ा जा रहा है। बांध से रोजाना 35 हजार क्यूसिक पानी छोड़ा जा रहा है। यह पानी हरिकेहेड में एकत्र हो रहा है। उक्त मात्रा में से हरिकेहेड से निकलने वाले राजस्थान फीडर व पंजाब फीडर में औसतन 20 हजार क्यूसिक पानी छोड़ा जा रहा है, जबकि शेष पानी में से 11 हजार क्यूसिक पानी हरिकेहेड से सतलुज के रास्ते हुसैनीवाला हेड की ओर छोड़ा जा रहा है।

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2017 के अंतिम महीनों से लेकर सप्ताह भर पहले तक हरिके हेड से हुसैनीवाला हेड की ओर सीमित मात्रा में ही पानी छोड़ा जा रहा था। इसका कारण हरिकेहेड में जरूरत के अनुरूप ही पानी होना था। अब बांध से पानी ज्यादा छोड़े जाने पर हरिके हेड से हुसैनीवाला हेड को भी ज्यादा पानी छोड़ा जाने लगा है। आठ महीनों की अपेक्षा सप्ताह भर से सतलुज नदी में पानी ज्यादा होने से भारत के साथ ही साथ पाकिस्तान में भी सतलुज के प्रवाह वाले हिस्सों में पर्याप्त पानी हो गया है और अब सतलुज की दोनों प्रमुख धाराओं के अलावा अन्य छोटी धाराओं में भी पानी का प्रवाह दिखाई देने लगा है।

40 हजार क्यूसिक से ज्यादा पानी छोड़ने पर हो सकता है बाढ़ का खतरा

नहरी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि जितना पानी हरिके हेड से हुसैनीवाला हेड की ओर छोड़ा जा रहा है, इससे बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न नहीं होगें। जब 40 हजार क्यूसिक से ज्यादा पानी छोड़ा जाएगा तो दरिया से सटे निचले हिस्सों के करीब पानी फैल सकता है। नहरी विभाग के एक्सईएन हाकम ¨सह ने बताया कि अभी स्थित पूरी तरह से कंट्रोल में है बाढ़ जैसे कहीं कोई हालत नहीं है।

हरिके हड के गेटों की सफाई का मिल रहा लाभ

गत वर्ष के बाद चार महीने पहले भी हरिके हेड के सभी गेटों की मरम्मत व गेटों से पहले भारी मात्रा में जमा बालू के ढेरों की निकासी कर लिए जाने के परिणामस्वरूप हरिके हेड में ज्यादा पानी एकत्र नहीं हो रहा है, क्योंकि गेटों के पास ज्यादा मात्रा में साल्ट जमा होने के कारण पानी का प्रवाह ठीक से न तो राजस्थान फीडर में हो पाता था और न ही हुसैनीवाला हेड की ओर जिसके कारण ही हरिके हेड में बड़ी मात्रा में पानी जमा दिखाई देता था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है।

खेतीबाड़ी करने वाले किसानी के साथ ही पशुपालकों को मिलेगा लाभ

पिछले कुछ महीनों से सतलुज का जलस्तर घटने से दरिया किनारे खेती करने वाले किसानों के साथ ही पशुपालक परेशान थे, क्योंकि दरिया में कम मात्रा में पानी होने से कई सहायक धाराएं सूख गई थीं, जिससे किसानों व पशुपालकों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा था। सब्जी उत्पादकों को डीजल वाले वाटर लि¨फ्टग पंपों से सब्जियों की ¨सचाई करनी पड़ रही थी, जिससे उनकी फसल लागत बढ़ने से उनका एक ओर जहां मुनाफा कम हो रहा था। रेतीली जमीन में नमी का स्तर भी ज्यादा देर तक बना नहीं पा रहा था। अब दरिया का जलस्तर तीन फुट तक बढ़ जाने से किसानों के साथ ही पशुपालकों को राहत मिली है। गत वर्ष इस मौसम में 35 हजार क्यूसिक का प्रवाह दरिया में था, जबकि वर्तमान समय में 11 हजार क्यूसिक ही है।


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