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मनीला से बेटे का शव गरीबी के कारण पंजाब नहीं ला सकता परिवार, मां ने लाइव देखा अ‍ंतिम संस्‍कार

पंजाब के एक युवक की मनीला में हत्‍या कर दी गई। गरीबी के कारण उसका शव पंजाब नहीं ला सका तो उसकी मनीला में ही अंत्‍येष्टि की गई। मां ने बेटे का अंतिम संस्‍कार मोबाइल पर लाइव देखा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 11:36 AM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 11:36 AM (IST)
मनीला से बेटे का शव गरीबी के कारण पंजाब नहीं ला सकता परिवार, मां ने लाइव देखा अ‍ंतिम संस्‍कार
मनीला से बेटे का शव गरीबी के कारण पंजाब नहीं ला सकता परिवार, मां ने लाइव देखा अ‍ंतिम संस्‍कार

फिरोजपुर, जेएनएन। जिले के गांव मुदकी का एक युवक परिवार की गरीबी दूर करने के लिए कमाने फिलीपींस के मनीला गया था। वहां कुछ लोगों ने गोली मार कर उसकी हत्या कर दी। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण परिजन उसका शव को भारत नहीं मंगवा सके। इसके बाद युवक का मनीला में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। माता-पिता अपने जिगर के टुकड़े को अंतिम विदाई तो नहीं दे सके, लेकिन उन्‍होंने अंतिम संस्कार काे माेबाइल पर वीडियो कॉल के जरिये लाइव देखा।

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गांव मुदकी का 35 साल का सुखजीत सिंह परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कमाने मनीला गया था। सुखजीत सिंह की पिछले दिनों मनीला में अज्ञात लोगों ने गोलियां मारकर हत्या कर दी। सुखजीत अविवाहित था। उसने अपने माता पिता से कहा था कि विदेश में सेटल हो जाने के बाद ही वह शादी करेगा। घर की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि बेटे के मृत शरीर को लाने में परिवार सक्षम नहीं था। अंत में 60 वर्षीय वृद्ध पिता ने विदेश में ही बेटे के शव का अंतिम संस्कार करवा दिया। करीबी लोगों ने मोबाइल के जरिये वीडियो कॉल से माता-पिता को बेटे के अंतिम संस्‍कार काे लाइव दिखाया।

जानकारी के अनुसार, पूर्व फौजी रछपाल सिंह का बेटा सुखजीत सिंह अपने दोस्तों के बुलावे पर 29 अप्रैल 2018 को मनीला में गया था। उसने दोस्तों के साथ मिलकर मनीला में फाइनांस का काम करना शुरू किया। रछपाल सिंह ने बताया कि 5 फरवरी को करीब 12 बजे उसेअज्ञात लोगों ने गोलियां मार दीं। इसके बाद उसके दोस्तों ने उसे अस्पताल में भर्ती करवाया। जिंदगी व मौत से जंग लड़ते हुए मनीला में सुखजीत की मौत हो गई।

पिता ने आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उसके दोस्तों इंद्रजीत सिंह, दलजीत, दीपा, जस्सा, हरप्रीत को से उसका वहीं पर संस्कार करवा दिया। 14 फरवरी को जब सुखजीत का संस्कार हो रहा था तो उसकी माता-पिता ने वीडियो कॉल से अंतिम संस्कार देखा। इस दौरान मां की आंखों से आंसू टपक रहे थे। सुखजीत का एक छोटा भाई कस्बे में दुकान चलाता है और पिता खेती करते है।


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