घर से ही अदा की गई ईद-उल-फितर की नमाज
मस्जिदों में इस बार की ईद के मौके पर कोई इकट्ठ नहीं किया गया जिसके चलते मुस्लिम भाईचारे की तरफ से हिदायतों का पालन करते हुए घर से ही एक-दूसरे को मुबारकबाद दी।
जतिंद्र पिकल, फिरोजपुर : कोरोना की दहशत ने भले ही सारे संसार को हिलाकर रख दिया हो लेकिन रब की बंदगी करने वालों के लिए नमाज अदा करने में कोई दिक्कत नहीं आई। इस मौके पर फिजिकल डिस्टेंसिग का ध्यान रखते हुए मुसलिम भाईचारे की तरफ से घर से ही ईद-उल-फितर की नमाज अदा की। मस्जिदों में इस बार की ईद के मौके पर कोई इकट्ठ नहीं किया गया, जिसके चलते मुस्लिम भाईचारे की तरफ से हिदायतों का पालन करते हुए घर से ही एक-दूसरे को मुबारकबाद दी। सुबह तीन बजे नमाजे की गई अदा
ईद-उल-फितर की नमाज से पहले मुस्लिम भाईचारे की तरफ से रात तीन बजे उठकर अन्य नमाजें अदा की जाती हैं उसके बाद करीब 6 बजे ईद की नमाज का वक्त होता है जिसे नमाज अदा करने वाला उस अल्लाह के दरबार में हाजिरी नमाज अदा करके लगवाता है और सारे संसार की सलामती की दुआएं मांगी जाती है। इस बार एक दूसरे के पास जाकर नही बल्कि फोन पर ही देर शाम तक ईद की मुबारक देने का सिलसिला जारी रहा। गले मिलने से जरूरी जिदगी का बचाव : सुफी आजाद अली
ईंद-उल-फितर के पावन मौके पर सोमवार को गौसिया जामा मस्जिद वेलफेयर सोसायटी मल्लवाल रोड के अध्यक्ष सुफी अजाद अली ने सबको ईद की मुबारक देते हुए कहा कि उनकी तरफ से पहले ही मुस्लिम भाईचारे को ईद के पावन मौके की नमाज घर से ही अदा करने के बारे में बता दिया था। इस मौके पर सूफी साहब के घर में पोतों के रूप में अल्लाह के दिए दो नन्हें मुन्ने बच्चों मुहमद सैफ व मुहमद कैफ ने आपस में गले मिलकर ईद की बधाइयां दी। इसी मौके पर दरगाह हजरत बाबा शेरशाह वली नौशाही कादरी में मुहम्मद मुस्तकीम अली की तरफ से भी वहीं से ईद की नमाज अदा की गई। इस बार भी हमेशा की तरह ईद की नमाज के बाद सारे संसार के भले की लिए दुआएं मांगी गई ताकि जल्दी से जल्दी इस महामारी से सबको छुटकारा मिल सके।