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36 साल पहले पिता को आतंकियों ने मारी थी गोलियां, आज भी गर्व से जी रहे देशतुल्ली

आतंकवाद के काले दौर को जब भी पुराने बुजुर्ग याद करते है तो उनकी आंखे नम हो जाती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 May 2020 10:23 PM (IST)Updated: Wed, 20 May 2020 10:23 PM (IST)
36 साल पहले पिता को आतंकियों ने मारी थी गोलियां, आज भी गर्व से जी रहे देशतुल्ली
36 साल पहले पिता को आतंकियों ने मारी थी गोलियां, आज भी गर्व से जी रहे देशतुल्ली

तरूण जैन, फिरोजपुर : पंजाब में लंबे समय तक चले आतंकवाद के काले दौर को जब भी पुराने बुजुर्ग याद करते है तो उनकी आंखे नम हो जाती है। क्योंकि उन्होंने आतंकवाद का वह दौर देखा है जब सड़क पर अकेले निकलना किसी खतरे से कम नहीं था और आतंकवादियों द्वारा बसों व ट्रेनों को रोककर सरेआम लोगों को गोलियों से भून दिया जाता था।

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छावनी के कबाड़ी बाजार में तुल्ली ब्रदर्स नाम से इलैक्ट्रॉनिक शॉप चलाने वाले देश तुल्ली ने बताया कि 25 मई 1984 यानि कि पूरे 36 साल पहले उनके पिता देवरत्न तुल्ली जोकि हिदू सुरक्षा समिति पंजाब के उपाध्यक्ष थे, कि आतंकवादियों द्वारा शहर की तुल्लियांवाली गली में गोलियां मारकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। उस वक्त देवरत्न शाम को अपनी दुकान बंद करके रिक्शा पर बैठकर घर जा रहे थे।

देश ने कहा कि उस वक्त वह दिल्ली में थे और उन्होंने अखबार में पढ़ा कि उक्त संगठन के उपाध्यक्ष को आतंकवादियों ने मार दिया। जब उन्होंने दिल्ली से फोन के माध्यम से पूछा तो उनके पिता के शहीद होने की खबर पाई।

दैनिक जागरण से बात करते हुए देश तुल्ली की आंखे में आंसू आ गई, लेकिन उनकी आवाज में आतंक के खिलाफ आज भी जवानी जैसा जोश था। तुल्ली ने कहा कि उनके तीन भाई सुभाष तुल्ली, विजय व खुद है और शुरुआती दिनों से ही उनके परिवार में देश प्रेम व हिदू रक्षा की ललक थी। उन्होंने कहा कि उनके पिता देवरत्न जनसंघी व आर्य समाजी थे और दुकान पर बैठे होने के बावजूद अपने साथियों के साथ संगठन की भलाई की योजना बना उन्हें परिणाम तक पहुंचाया करते थे।

देशतुल्ली ने कहा कि पिता की हत्या करने वाले कातिलों को सजा दिलवाने के लिए उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया और मदन मोहन वोहरा को एडवोकेट रखा। अदालत ने हत्या करने वाले आतंकियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। उन्होंने कहा कि आज भी वह गर्व से जीते है कि उनके पिता शहीद हुए थे ना कि उन्होंने आतंकियों के सामने घुटने टेके और सरकार से कभी सुरक्षा की मांग भी नहीं की।


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