बुलेट पर पटाखे बजाने का क्रेज, जान की नहीं परवाह
पिछले कुछेक वर्षों में बुलेट मोटरसाइकिल का क्रेज इस कद्र बढ़ा है कि अधिकतर युवा वर्ग इसे खरीदना अपना स्टेटस समझने लगा है वहीं बुलेट बाइक पर पटाखे बजाने का क्रेज भी युवाओं में बढ़ता जा रहा जिस पर काबू पाने में पुलिस भी नाकाम है
जतिन्द्र पिकल, फिरोजपुर :
पिछले कुछेक वर्षों में बुलेट मोटरसाइकिल का क्रेज इस कद्र बढ़ा है कि अधिकतर युवा वर्ग इसे खरीदना अपना स्टेटस समझने लगा है, वहीं बुलेट बाइक पर पटाखे बजाने का क्रेज भी युवाओं में बढ़ता जा रहा, जिस पर काबू पाने में पुलिस भी नाकाम है
पुलिस की ओर सितंबर माह से लेकर नंवबर माह तक पटाखे बजाने वाले साइलेंसर युक्त वाहनों की चैकिग के दौरान 30 चालान काटे गए है। जबकि तेज रफतार (ओवर स्पीड) के मामले में 45 चालान काटे गए है। इसके साथ ही प्रेशर हार्न लगे वाहनों (दोपहिया व चार पहिया वाहन दोनो) के तीन माह में 136 चालान काटे गए है। दिल के मरीजों के लिए हानिकारक
किसी भी दिल के मरीज व अन्य किसी के लिए भी बुलेट मोटर साइकिल से बजने वाला पटाखा गोली की आवाज से कहीं अधिक शोर वाला होता है। अचानक बजने वाले इस पटाखे की आवाज इतनी जोरदार होती है कि ड्राइव कर रहा कोई भी चालक अपने वाहन से जहां असंतुलित होकर गिर सकता है, वहीं पर दिल के मरीजों व किसी भी व्यक्ति के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है।
--------- पटाखे बजाने से बाइक में लग सकती है आग
मैकेनिक ने बताया कि पहले इसके लिए एक कंडसर व डाईड (इलेक्ट्रॉनिकस पार्ट) का प्रयोग होता था, जिसे लगाकर एक जगह पर करंट इकट्ठा किया जाता था। उसके बाद कंरट इकट्ठा होने पर एक स्वीच के जरिए उसे आफ करके आन कर दिया जाता था, जिसके चलते इकट्ठा हुआ कंरट एक धमाके की आवाज पैदा करता था। इस तरीके से बाइक को कभी भी आग लगने का खतरा बना रहता था। जबकि पैट्रोल होने के कारण पटाखे बजाने से कभी भी मोटर साइकिल में धमाका हो सकता है। मौजूदा समय में नए तरीके के मुताबिक साइलेंसर ही बदल दिया जाता है और खाली साइलेंसर लगा दिया जाता है। भले ही तरीका नया आ गया है, लेकिन आग लगने व बाइक में धमाका होने का खतरा ज्यों की त्यों ही बरकरार है।
काटे जा रहे हैं चालान : जिला ट्रैफिक प्रभारी
जिला ट्रैफिक प्रभारी कुलदीप कुमार का कहना है कि बाइक पर दो से अधिक सवारी या बिना हेलमेट, चौपहिया वाहन पर बिना सीट बैल्ट के लगातार चालान काटने का काम जारी है। इससे पहले हर रोकने वाले को कानून के दायरे में रहकर वाहन चलाने और दूसरे की जान का वास्ता देकर समझाया जाता है जब इससे भी लोग नहीं मानते तो उस सूरत में उनके पास चालान काटने के अलावा कोई रास्ता नही बचता।